सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म कोचादैयां इस शुक्रवार रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में हैं रजनीकांत और दीपिका पादुकोण। इनके अलावा जैकी श्रॉफ, आर सरथ कुमार और नासिर भी फिल्म में हैं। फिल्म में संगीत दिया है एआर रहमान ने और इसे डायरेक्ट किया है सौंदर्या आर अश्रिवन ने।
यह फिल्म दो राज्यों के बीच दुश्मनी, बदला और राज्य के लिए समर्पित सेनापति की कहानी है। इसके अलावा कि फिल्म में रजनीकांत हैं, फिल्म की एक बड़ी खासियत है वह तकनीक, जिससे हिंदुस्तानी फिल्म में पहली बार इस्तेमाल किया गया है। इस तकनीक का नाम है ‘मोशन कैप्चर फोटो−रियलिस्टिक 3-डी एनिमेशन’। यह वही तकनीक है, जिसे जेम्स कैमरुन की मशहूर फिल्म ‘अवतार’ में इस्तेमाल किया गया।
लेकिन ‘कोचाडैयां’ की डायरेक्टर सौंदर्या ने इस फिल्म को ‘अवतार’ के मुकाबले बेहद कम वक्त और कम बजट में बनाया है। जाहिर है इसका असर फिल्म पर पड़ना ही था। कोचाडैयां के किरदारों और पूरी फिल्म में इस तकनीक की बारीकियां नहीं दिखती, जिस सफाई से अवतार में दिखी थी। किरदारों का चलना-फिरना, उनका हाव-भाव बस किसी भी आम एनिमेशन फिल्म से थोड़ा बेहतर नजर आया, पर ये उतने सटीक नहीं दिखते कि जीते जागते किरदारों से उनकी या ‘अवतार’ के किरदारों से बराबरी कर सकें।
मुख्य किरदारों के अलावा बाकी किरदार आपको आम एनिमेशन फिल्मों के कैरेक्टर्स की तरह दिखते हैं। शायद एक आम दर्शक को जिन्हें इस तकनीक के बारे में जानकारी नहीं उन्हें इस फिल्म और बाकी एनिमेशन फिल्म में कोई फर्क महसूस नहीं होगा।
फिल्म की कहानी भी बहुत आम है, जो आपको बांधे रखने में नाकाम हो सकती है। फिल्म के गाने फिल्म को कमजोर करते हैं। लंबे डांस और फाइट सीन्स भी कहानी को मजबूत नहीं बना पाते। हां, बच्चे शायद फिल्म को 3डी में देखकर अपना मनोरंजन कर सकते हैं।
इस तकनीक को हिंदुस्तान में पहली बार इस्तेमाल करने की कोशिश के लिए मेरी ओर से सौंदर्या और उनकी फिल्म ‘कोचाडैयां’ को दो स्टार्स।
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