मुंबई:
एक और हॉरर फिल्म 'राज-3' रिलीज़ हो गई... भट्ट कैम्प की इस फिल्म में हॉट बंगाली बाला बिपाशा बसु फिल्म अभिनेत्री शनाया की भूमिका में हैं, जो एक नई हीरोइन संजना, यानि ईशा गुप्ता, से करियर की रेस में बुरी तरह पिछड़ने लगती है... सो, ईर्ष्या और नफरत की आग में जलती शनाया, अपनी प्रतिद्वंद्वी संजना को तबाह करने के लिए काले जादू का सहारा लेती है...
इस काम में नायिका अपने ब्वॉयफ्रेन्ड आदित्य, यानि इमरान हाशमी की मदद भी लेती है, जो एहसानों तले दबा होने के कारण इनकार भी नहीं कर पाता... संजना पर काला जादू असर करने लगता है और फिर आते हैं कुछ अच्छे हॉरर सीन्स... नौकरानी पंखे से लटकती दिखती है और ढेरों कॉकरोचों के हमले से एक हीरोइन भीड़ के सामने आपत्तिजनक हालत में दौड़ती नज़र आती है...
शोहरत पाने की चाहत और फिल्मी हीरोइनों की आपसी ईर्ष्या किस हद तक जा सकती है, इस पर न सिर्फ कहानी अच्छी सोची गई है, बल्कि इसे ठीक-ठाक ढंग से फिल्माया भी गया है... लेकिन कुछ ही समय के बाद जब दुष्टात्मा से संजना को छुड़ाने के लिए डॉक्टर मुर्दाघर में जाकर तांत्रिक क्रियाएं करने-कराने लगता है, तब हॉरर की यह मायावी दुनिया साफ-साफ नकली महसूस होने लगती है... संजना की आत्मा को बंदी दिखलाने के लिए उसे वाकई ज़ंजीर से बांधा गया, और आदित्य लोहे की रॉड से ज़ंजीर तोड़कर आत्मा को छुड़ाता दिखाई दिया...
बेशक, बिपाशा ने वैम्प के रूप में अच्छी एक्टिंग की है, और फिल्म का म्यूज़िक भी ठीक है, लेकिन ज़्यादातर हॉरर फिल्मों में हीरोइन को बचाने के लिए हीरो को आखिरकार भगवान का ही सहारा लेना पड़ता है, और डायरेक्टर विक्रम भट्ट की 'राज-3' भी इस चलताऊ फॉर्मूले से नहीं बच सकी... इस एवरेज फिल्म के लिए हमारी रेटिंग है - 2.5 स्टार...
इस काम में नायिका अपने ब्वॉयफ्रेन्ड आदित्य, यानि इमरान हाशमी की मदद भी लेती है, जो एहसानों तले दबा होने के कारण इनकार भी नहीं कर पाता... संजना पर काला जादू असर करने लगता है और फिर आते हैं कुछ अच्छे हॉरर सीन्स... नौकरानी पंखे से लटकती दिखती है और ढेरों कॉकरोचों के हमले से एक हीरोइन भीड़ के सामने आपत्तिजनक हालत में दौड़ती नज़र आती है...
शोहरत पाने की चाहत और फिल्मी हीरोइनों की आपसी ईर्ष्या किस हद तक जा सकती है, इस पर न सिर्फ कहानी अच्छी सोची गई है, बल्कि इसे ठीक-ठाक ढंग से फिल्माया भी गया है... लेकिन कुछ ही समय के बाद जब दुष्टात्मा से संजना को छुड़ाने के लिए डॉक्टर मुर्दाघर में जाकर तांत्रिक क्रियाएं करने-कराने लगता है, तब हॉरर की यह मायावी दुनिया साफ-साफ नकली महसूस होने लगती है... संजना की आत्मा को बंदी दिखलाने के लिए उसे वाकई ज़ंजीर से बांधा गया, और आदित्य लोहे की रॉड से ज़ंजीर तोड़कर आत्मा को छुड़ाता दिखाई दिया...
बेशक, बिपाशा ने वैम्प के रूप में अच्छी एक्टिंग की है, और फिल्म का म्यूज़िक भी ठीक है, लेकिन ज़्यादातर हॉरर फिल्मों में हीरोइन को बचाने के लिए हीरो को आखिरकार भगवान का ही सहारा लेना पड़ता है, और डायरेक्टर विक्रम भट्ट की 'राज-3' भी इस चलताऊ फॉर्मूले से नहीं बच सकी... इस एवरेज फिल्म के लिए हमारी रेटिंग है - 2.5 स्टार...
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