रिव्यू : असलियत की उड़ान भरती 'उड़ता पंजाब', बिहारी लड़की के रोल में आलिया सब पर भारी

रिव्यू : असलियत की उड़ान भरती 'उड़ता पंजाब', बिहारी लड़की के रोल में आलिया सब पर भारी

फिल्म के दृश्य से ली गई आलिया भट्ट की तस्वीर...

मुंबई:

फिल्म 'उड़ता पंजाब' के प्रमोशन और विवादों में घिरने के बाद आप सब भी यह जान चुके होंगे कि इसका विषय है पंजाब में नशे का व्यापार। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह पंजाब में नशे और ड्रग्स ने रॉकस्टार से लेकर आम युवाओं को अपने चंगुल में जकड़ रखा है। किस तरह सरहद पार से इसकी तस्करी होती है, किस तरह पुलिस से लेकर नेता तक इसके व्यापार में शामिल होते हैं। वैसे तो फिल्म का नाम 'उड़ता पंजाब' है लेकिन इसे देखने के लिए जरूरी नहीं कि पंजाब की इस समस्या के बारे में आपको तफ्सील से पता ही हो। हालांकि अगर आपने पंजाब या उसके आसपास के इलाकों को करीब से देखा है तो यह फिल्म आपको और दिलचस्प लगेगी।

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देखिए रिव्यू
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एक फिल्म में तीन अलग-अलग ट्रैक
एक फिल्म में तीन अलग-अलग कहानियां हैं जिसे जोड़ता है ड्रग्स और इसका कारोबार। एक कहानी है रॉकस्टार बने शाहिद कपूर कि जिसे देख युवा नशे कि ओर बढ़ रहे हैं। दूसरी कहानी है अलिया भट्ट की, जो बिहार से आई एक मज़दूर है और अनजाने में ड्रग माफिया के चंगुल में फंस जाती है। और तीसरा हिस्सा है डॉक्टर बनी करीना कपूर और पुलिस अफसर बने दिलजीत दोसांझ का जो पंजाब को ड्रग्स से आज़ाद में जुटे हैं। इन तीनों कहानियों को सुंदरता से जोड़ा है लेखक सुदीप शर्मा और लेखक-निर्देशक अभिषेक चौबे ने।

आलिया भट्ट के अभिनय ने दिल जीता
फिल्म का चित्रांकन अच्छा है और परदे पर देखने पर ऐसा लगता है कि हम ड्रग्स की दुनिया और उसकी तड़प देख रहे हैं। करीना के पास बहुत ज़्यादा कुछ करने को नहीं था। दिलजीत की भूमिका अच्छी है। शाहिद कपूर ने नशे की चादर में लिपटे रॉकस्टार के किरदार के हर पहलू को बखूबी पकड़ा है, लेकिन असल में अभिनय से दिल जीता है अलिया भट्ट ने। फ़िल्म में शाहिद और अलिया की मुलाक़ात के पहले सीन ने फ़िल्म में जान डाली है।

लंबाई जरूरत से ज्यादा
फिल्म की खामियों की अगर बात करें तो सबसे बड़ी दिक्कत है इसकी लंबाई जो जरूरत से ज़्यादा है। फ़िल्म का पहला हिस्सा जितना असलियत के करीब था, दूसरा भाग उतना ही नाटकीय हो गया। फ़िल्म में ज़्यादा ही गालियां हैं। इसके लिए सेंसर ने भी सवाल उठाये थे लेकिन तर्क दिया गया था कि ड्रग्स के नशे में युवा गाली ही देंगे। फ़िल्म देखने के बाद मुझे ऐसा महसूस हुआ कि गाली-गलौज कुछ ज़्यादा ही है क्योंकि जो नशे में नहीं हैं वे भी बिना बात के गालियां दिए जा रहे हैं।

आपको एक और बात बता दें कि भले ही फिल्म के निर्माता निर्देशक या इसके स्टार हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री के हों, लेकिन फिल्म हिंदी में नहीं, पंजाबी में है। इसमें 90% से भी ज्याद संवाद पंजाबी में हैं और इसलिए फिल्म में अंग्रेजी सब टाइटल डाले गए हैं। फिर भी आप इस फ़िल्म को एक बार देखिये क्योंकि 'उड़ता पंजाब' कम से कम एक बात तो सिखाती है कि ड्रग्स के दलदल में जान-बूझकर घुसो या अनजाने में, अंजाम बहुत ही बुरा होता है। इसलिये 'उड़ता पंजाब' के लिए मेरी रेटिंग है 3.5 स्टार।


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