इस शुक्रवार रिलीज़ हुई फिल्मों में से एक है 'कुक्कू माथुर की झंड हो गई', जिसका निर्देशन किया है अमन सचदेवा ने, और निर्माता हैं एकता कपूर और बिजॉय नाम्बियार...
'कुक्कू माथुर की झंड हो गई' दो दोस्तों की कहानी है, जिनमें सिद्धार्थ गुप्ता बने हैं कुक्कू, और आशीष जुनेजा ने रॉनी का किरदार निभाया है... कुक्कू अपने पिता और बहन के साथ रहता है, और उसकी मां नहीं हैं, और शायद इसीलिए वह अपने दोस्त और उसकी मां की दया का पात्र बनता है... दोनों दोस्त ज़िन्दगी में कुछ बनने का सपना देखते रहते हैं... मसलन, कुक्कू एक रेस्टोरेंट खोलना चाहता है, क्योंकि वह एक बेहतरीन कुक है, लेकिन रॉनी को कपड़ों की दुकान, यानि उसके फैमिली बिज़नेस में धकेल दिया जाता है... इसके बाद क्या होता है, क्यों दो दोस्तों के बीच दरार आ जाती है, बेइज़्ज़त होने के बाद कुक्कू अपने दोस्त और उसके परिवार के साथ क्या करता है - यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी...
अब बात करते हैं फिल्म की खूबियों और खामियों की... फिल्म का शीर्षक देखकर लगता है कि यह एक कॉमेडी फिल्म होगी, लेकिन ऐसा नहीं है, हालांकि फिल्म देखते वक्त आप कई जगह मुस्कुराएंगे ज़रूर... 'कुक्कू माथुर की झंड हो गई' की कहानी में मासूमियत है, फिल्म का 'वन लाइन आइडिया' भी अच्छा है, लेकिन उसे ढंग से फैलाया नहीं गया... स्क्रीनप्ले और डायलॉग में और मेहनत किए जाने की ज़रूरत थी...
सिद्धार्थ और आशीष अपने-अपने किरदारों में ठीक हैं, लेकिन कई जगह उनमें ऊर्जा, या यूं कहें, उत्साह की कमी नज़र आती है... प्रभाकर के किरदार में अमित सयाल का काम अच्छा है... गानों में 'वेलकम मइया...' आपको हंसा सकता है और आखिर तक आपको यह गाना शायद याद भी रहे... यह कहना गलत नहीं होगा कि निर्देशक अमन सचदेवा ने दर्शकों के लिए कई सीन्स में बहुत अच्छे लम्हे तैयार किए हैं, चाहे वह जागरण का सीन हो या हरियाणवी फिल्म की शूटिंग, या निर्मल बाबा से प्रेरित एक किरदार का सीन...
सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग विभाग का काम थोड़ा कमज़ोर दिखा, लेकिन फिर भी अमन सचदेवा की ठीक-ठाक कोशिश नज़र आई, क्योंकि ऊबड़−खाबड़ सफर के बावजूद फिल्म देखकर आपका मनोरंजन हो सकता है... इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 2.5 स्टार...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं