फिल्म रिव्यू : 'पिंक' में अमिताभ बच्चन का एक और दमदार किरदार

फिल्म रिव्यू : 'पिंक' में अमिताभ बच्चन का एक और दमदार किरदार

फिल्म के पोस्टर से ली गई तस्वीर

खास बातें

  • पिंक को अनिरुद्ध रॉय चौधरी ने किया है डायरेक्ट
  • कामकाजी महिलाओं के इर्द गिर्द घूमती है कहानी
  • फिल्म में अमिताभ बच्चन की आवाज में कविता
मुंबई:

इस फिल्मी फ्राइडे रिलीज हुई है 'पिंक'. पिंक को डायरेक्ट अनिरुद्ध रॉय चौधरी ने किया है और इसके निर्माता हैं रश्मी शर्मा और शूजित सरकार जो विकी 'डोनर', 'मद्रास कैफ़े' और 'पीकू' जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं. फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले लिखा है रितेश शाह ने और पर्दे पर किरदारों को जीवंत करते नजर आएंगे अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, कीर्ति कुल्हारी और आंद्रे तैरंग.

'पिंक' यानी गुलाबी रंग जिसे महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है और 'पिंक' की कहानी कामकाजी महिलाओं की सामाजिक मुश्किलों के इर्द गिर्द घूमती है. ऐसी महिलाएं जिनके पहनावे, रहने के ढंग और बात करने के अंदाज से कुछ लोग उनके चरित्र को मापते हैं. ये कहानी ऐसी ही तीन रूम मेट्स की हैं जिनके साथ एक रात कुछ ऐसा होता है जिससे उनकी जिंदगी में तूफान आ जाता है.

'पिंक' की खास बात है कि बिना ड्रामा और डायलॉग के ओवरडोज के विषय के साथ ईमानदार की गई है और समाज की महिलाओं के प्रति सोच बहुत खूबसूरती से बयां की गई है. वकील के किरदार में अमिताभ बच्चन इन लड़कियों की जिंदगी में आते हैं और भरी अदालत में किस तरह से उनके मान सम्मान पर कीचड़ उछालने वालों को अपने तर्क और फलसफों से मात देते हैं ये देखना दिलचस्प रहा.

समाज की सोच पर चुटकी लेते इनके सीन्स देखकर निर्देशक और लेखक के नाम तालियां बजाने के लिए अपने आप हाथ ऊपर उठ जाते हैं. 'पिंक' में तापसी, कीर्ति और आंद्रे ने अपने किरदारों को बेहतरीन रंग दिया है. अमिताभ एक बार फिर दर्शकों को निशब्द करेंगे. उनके फिल्मी करियर में ये एक यादगार परफॉरमेंस के तौर पर नजर आया. पीयूष मिश्रा ने भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी है.

यूं तो हिंदी फिल्मों में आप जजों को ऑर्डर-ऑर्डर बोलते सुनते हैं पर फिल्म में धृतिमान चटर्जी ने कम शब्दों और कमाल के हाव-भाव से अपने सीन्स को बखूबी निभाया है. ये फिल्म उन लोंगों को जरा धीमी लग सकती है जिन्हें इस फिल्म से सिर्फ मनोरंजन और मसालेदार सीन्स की उम्मीद है. पर ये बता दूं कि ये फिल्म न सिर्फ दर्शकों को पकड़े रखेगी बल्कि समाज को आइना भी दिखाएगी.

फिल्म के गाने अच्छे हैं खासतौर से आखिरी में अमिताभ बच्चन की आवाज में कविता, जो महिला सशक्तिकरण को ज़ोर देती है. इस फिल्म को मेरी ओर से 3.5 स्टार्स.


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