पाकिस्तान में सिनेमा के प्रति फिर से रुचि जगाने का श्रेय भारतीय सिनेमा जगत (बॉलीवुड) को जाता है। यह बात मशहूर फिल्मकार महेश भट्ट ने कही। पाकिस्तान में हाल ही में महेश भट्ट की 1989 की फिल्म 'डैडी' पर आधारित एक नाटक का मंचन हुआ है।
महेश अपने बैनर की नई फिल्म 'मिस्टर एक्स' के प्रचार के सिलसिले में पिछले दिनों दिल्ली आए थे। उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि पाकिस्तान के फिल्म उद्योग का वजूद दिखाई नहीं पड़ता है और भारतीय फिल्मों और अभिनेताओं की लोकप्रियता के कारण ही वहां फिल्म उद्योग को फिर से जीवित करने की कोशिश शुरू हुई है।
उन्होंने कहा, "भारत की तरह पाकिस्तानी लोगों के जीवन में भी भारतीय फिल्म कलाकार रचे-बसे हुए हैं। कराची की सड़कों पर गुजरते हुए आप कई जगह दीवारों पर प्रियंका चोपड़ा और शाहरुख खान के चित्रों वाले विज्ञापन के पोस्टर देख सकते हैं।"
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार ने कहा, "उनके सिनेमा हॉलों में भारतीय फिल्में दिखाई जाती हैं, क्योंकि उनके फिल्मोद्योग का वजूद न के बराबर है। बॉलीवुड फिल्मों के कारण वे अपने फिल्मोद्योग को फिर से खड़ा कर रहे हैं।" पाकिस्तान में 1968 में भारतीय फिल्मों पर पाबंदी लगा दी गई थी, जिसके कारण वहां पूरे देश में फिल्मोद्योग की मंदी आ गई थी। पाबंदी 2006 में हटा ली गई थी, लेकिन लंबी पाबंदी के कारण कई सिनेमाघर बंद हो गए हैं।
वहां हाल में कई फिल्मकार सामने आए हैं। शरमीन उबैद को 'सेविंग फेस' के लिए पाकिस्तान में पहला ऑस्कर मिला। महरीन जब्बार (रामचंद पाकिस्तानी) और शोहैब मंसूर (खुदा के लिए) को भी अपने फिल्मों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।
पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय रंगकर्म फिल्म उत्सव-2015 में भट्ट की फिल्म 'डैडी' पर आधारित एक नाटक का मंचन किया गया। इस अवसर पर भट्ट को भी आयोजन में आमंत्रित किया गया था। उत्सव का आयोजन कराची के नेशनल एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा किया गया था। नाटक की तीनों प्रस्तुतियां हाउसफुल रहीं। भट्ट ने कहा, "हमें अपने बीच पाकर लोग काफी उत्साहित थे।"
भट्ट फिलहाल अपने बैनर तले अपने भतीजे इमरान हाशमी की आने वाली विज्ञान-गल्प पर आधारित 3डी फिल्म 'मिस्टर एक्स' के प्रचार में व्यस्त हैं।
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