आखिर नीतीश कुमार से मोहम्मद शहाबुद्दीन की क्यों है नाराजगी - जानिए 10 वजहें

आखिर नीतीश कुमार से मोहम्मद शहाबुद्दीन की क्यों है नाराजगी - जानिए 10 वजहें

शहाबुद्दीन की 11 साल बाद जेल से रिहाई हुई है

पटना: बिहार के बाहुबली नेता और आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन 11 साल बाद शनिवार को जब जेल से रिहा हुए तो उन्होंने अपने पहले ही बयान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्हें 'परिस्थितिवश मुख्यमंत्री' करार दिया. यही नहीं रविवार को भी शहाबुद्दीन ने कहा कि नीतीश जनता के नेता नहीं हैं, वो गठबंधन की वजह से मुख्यमंत्री बने हैं, जैसे मधु कोड़ा बने थे.

इन 10 कारणों से नीतीश से नाराज हैं शहाबुद्दीन

  1. जब शहाबुद्दीन ने 2003 में सरेंडर किया था और 2005 में उनकी दोबारा गिरफ्तारी हुई तो उन्हें यह बिल्कुल आभास नहीं था कि उनकी रिहाई में 11 साल लग जाएंगे. इसलिए उनकी पहली बड़ी शिकायत यही है कि नीतीश के बीते दौर के शासनकाल के समय उनकी जमानत याचिका का हर मोड़ पर राज्य सरकार द्वारा विरोध किया गया था.

  2. सिवान जेल के भीतर विशेष अदालत गठित की गई थी, जहां शहाबुद्दीन के खिलाफ विभिन्न मामलों की सुनवाई की गई.

  3. इन मुकदमों में से सात मुकदमों में उन्हें दोषी करार दिया गया, जिनमें से दो में उन्हें आजीवन कारावास और दो में 10-10 साल की कैद की सजा सुनाई गई.

  4. शहाबुद्दीन को उनके घर से बरामद एक चोरी के वाहन के मामले में भी दोषी ठहराया गया.

  5. 11 सालों के दौरान शहाबुद्दीन के सिवान जेल या भागलपुर जेल में रहने के दौरान उनके सेल और वार्ड में बार-बार छापे पड़ते रहे.

  6. इन छापों में शहाबुद्दीन के कई मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए. यही नहीं शहाबुद्दीन से मिलने के लिए आने वाले लोगों के लिए नियमों में ढील देने के चलते कई अफसर सस्पेंड भी किए गए. इन मुलाकातियों में नीतीश के खुद के मंत्री भी शामिल थे.

  7. शहाबुद्दीन यह कभी भुला नहीं सकते कि इन 11 सालों के दौरान उनके राजनीतिक रूप से अजेय रहने का मिथक भी टूट गया, जब उनकी पत्नी सिवान से लगातार दो संसदीय चुनावों में हार गईं. पहली बार वह निर्दलीय उम्मीदवार ओमप्रकाश यादव से पराजित हुईं तो दूसरी बार भी ओमप्रकाश यादव से ही लेकिन इस बार वह बीजेपी उम्मीदवार थे.

  8. तमाम मुकदमों की वजह से शहाबुद्दीन को लिखित रूप में देना पड़ा था कि उनके पास केस लड़ने के लिए पैसे नहीं हैं. यह एक ऐसा आवेदन था, जो काफी हास्यास्पद था.

  9. शहाबुद्दीन के लिए यह भूलना भी आसान नहीं है कि न सिर्फ उनकी पत्नी बल्कि उनके कई करीबी दोस्तों और समर्थकों को भी नीतीश और उनकी पूर्व सहयोगी पार्टी बीजेपी के हाथों पिछले 11 सालों के दौरान चुनावी शिकस्त झेलनी पड़ी.

  10. शहाबुद्दीन को यह मालूम है कि अगर उनकी जमानत रद्द हो जाती है या राज्य सरकार किसी अन्य आरोप में उन्हें फिर से जेल भेजने का फैसला करती है तो नीतीश पर हमलावर रुख अख्तियार करके वह अपने समर्थकों को यह संदेश देने में कामयाब हो जाएंगे कि उनको नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोलने की कीमत अदा करनी पड़ी.