बिलकिस ने दोषियों की रिहाई के बाद राज्य सरकार से सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी.
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने सीबीआई की कड़ी आपत्तियों के बावजूद 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के 11 दोषियों की रिहाई पर सहमति दी थी. गैंग रेप के दोषियों की समय से पहले रिहाई के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुजरात सरकार के अनुरोध के दो सप्ताह के भीतर दोषियों की रिहाई को मंजूरी दे दी थी. गुजरात सरकार ने 28 जून को केंद्र की मंजूरी मांगी थी.
- बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के दोषी सभी 11 लोगों को भाजपा नीत गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत सजा माफी दी थी.
- कल दोषियों की रिहाई के मुद्दे पर गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया था. जिसमें कहा गया था कि इस मामले में केंद्र सरकार से विधिवत मंज़ूरी ली गई है. साथ ही कहा गया है कि दोषियों का आचरण सही था और सरकार ने अपने अधिकारों के तहत उनकी रिहाई की सिफ़ारिश की थी.
- सामने आए दस्तावेजों से यह पता चलता है कि दोषियों ने समय से पहले हजारों दिनों की पैरोल का आनंद लिया था. पैरोल पर बाहर आने पर बिलकिस बानो को तंग किया गया था.
- बिलकिस ने उत्पीड़न की सूचना भी दी थी, जो गुजरात सरकार के इनके "अच्छे व्यवहार" के दावे पर गंभीर सवाल उठाता है.
- केंद्र और गुजरात सरकार दोनों ने इन दोषियों को मुक्त करने के लिए सीबीआई और एक विशेष न्यायाधीश की कड़ी आपत्तियों को भी खारिज कर दिया था. सीबीआई ने पिछले साल कहा था कि ये अपराध जघन्य और गंभीर है, इसमें किसी तरह की नरमी नहीं बरती जानी चाहिए.
- एक विशेष न्यायाधीश ने इसे "घृणा अपराध का सबसे बुरा रूप कहा था. न्यायाधीश ने कहा था कि ये अपराध इसलिए किया गया क्योंकि पीड़ित एक विशेष धर्म की थी. इस मामले में, नाबालिग बच्चों को भी नहीं बख्शा गया.
- देश भर में आक्रोश के बीच 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर दोषियों को रिहा किया गया था. गुजरात की जेल के बाहर आते हुए माला और मिठाइयों से इनका स्वागत किया गया था.
- सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार से बिलकिस बानो मामले का पूरा रिकॉर्ड और दोषियों की रिहाई का पूरा रिकॉर्ड जमा करने को कहा था.
- बता दें CBI की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को 21 जनवरी 2008 को सामूहिक बलात्कार और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी सजा को बरकरार रखा था.