Ayodhya Dispute : अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए समिति नियुक्ति की है
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मध्यस्थता के जरिए इस मसले को सुलझाने का आदेश दिया है. माना जा रहा है कि बातचीत से सालों से चले रहे इस विवाद का निपटारा किया जा सकता है. हालांकि कोर्ट से इतर भी कई बार बातचीत की कोशिश हो चुकी है. लेकिन इस मुद्दे को लेकर सभी पक्षों को मनाना आसान नहीं काम नहीं था. हालांकि इस फैसले के पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की बात कई बार कह चुका है. आज आया फैसला कई मायनों में अहम है क्योंकि इस बातचीत कोर्ट की निगरानी में होगी. बातचीत के लिए एक समिति का गठन किया गया है. जिससे अध्यक्ष मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला हैं. वह 22 जुलाई को 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर रिटायर हुए थे. इसके अलावा धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू मध्यस्थता समिति में शामिल हैं.
अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 5 बड़ी बातें
- जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता की अध्यक्षता में श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू मध्यस्थता समिति में शामिल होंगे.
- मध्यस्थता की प्रक्रिया गोपनीय रहेगी और इस पर पूरी तरह से मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध रहेगा.
- एक हफ्ते में सभी पक्षों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और इसके लिए सारा इंतजाम उत्तर प्रदेश सरकार को करना है.
- मध्यस्थता के लिए बातचीत फैजाबाद में होगी और समिति को 4 हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट सौंपनी है.
- बातचीत के प्रक्रिया कैमरे के सामने होगी. बातचीत की पूरी प्रक्रिया 8 हफ्ते में पूरी कर ली जाएगी.