राफेल सौदे (Rafale Deal) के दस्तावेजों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govt) ने महज तीन दिन के भीतर दो तरह के बयान दिए हैं. दो दिन पहले राफेल सौदे की पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सरकार ने कहा था की राफेल के कुछ सीक्रेट दस्तावेज चोरी हो गए, वहीं अब सरकार ने यूटर्न लेते हुए यह कहा है कि राफेल के दस्तावेज चोरी नहीं हुए हैं. सरकार का अब कहना है कि राफेल की सीक्रेट फाइल चोरी नहीं, बल्कि फोटोकॉपी हुए हैं. दरअसल, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में यह कहने के बाद कि राफेल डील से जुड़े कुछ दस्तावेज चोरी हो गए, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सफाई देते हुए कहा कि राफेल दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चुराए नहीं गये और सुप्रीम कोर्ट में उनकी बात का मतलब यह था कि याचिकाकर्ताओं ने आवेदन में उन ‘मूल कागजात की फोटोकॉपियों' का इस्तेमाल किया जिसे सरकार ने गोपनीय माना है. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वेणुगोपाल की इस टिप्पणी ने राजनीतिक भूचाल ला दिया था कि राफेल लड़ाकू विमान के सौदे के दस्तावेज चुरा लिये गये हैं. सुप्रीम कोर्ट में दिए गए इस बयान के बाद न सिर्फ सरकार की आलोचना हो रही थी, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इतने संवेदनशील कागजात के चोरी होने पर सरकार पर निशाना साधा और जांच की मांग की थी. बहरहाल, पीठ पुनर्विचार याचिकाओं पर अगली सुनवाई 14 मार्च को करेगी.
राफेल मामले से जुड़ीं 20 अहम बातें
- अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने परोक्ष रूप से स्थिति को संभालने का प्रयास करते हुए कहा, ‘मुझे बताया गया कि विपक्ष ने आरोप लगाया है कि (सुप्रीम कोर्ट में) दलील दी गई कि फाइलें रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गईं. यह पूरी तरह से गलत है. यह बयान कि फाइलें चोरी हो गई हैं, पूरी तरह से गलत है.'वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल सौदे की जांच का अनुरोध ठुकराने के शीर्ष अदालत के आदेश पर पुनर्विचार की मांग वाली यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण की याचिका में ऐसे तीन दस्तावेजों को नत्थी किया गया है जो असली दस्तावेजों की फोटो कॉपी हैं.
- आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अटॉर्नी जनरल द्वारा ‘चोरी' शब्द का इस्तेमाल संभवत: ‘ज्यादा सख्त' था और इससे बचा जा सकता था. सरकार ने ‘द हिन्दू' अखबार को इन दस्तावेजों के आधार पर लेख प्रकाशित करने पर गोपनीयता कानून के तहत मामला दर्ज करने की चेतावनी भी दी थी.
- सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हुये हैं. साथ ही, उसने ‘द हिन्दू' समाचार पत्र को इन दस्तावेजों के आधार पर आलेख प्रकाशित करने को लेकर सरकारी गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई की भी धमकी दी थी.
- प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ से अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल सौदे से संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक करने वाले सरकारी गोपनीयता कानून के तहत और न्यायालय की अवमानना के दोषी हैं. लड़ाकू विमानों के सौदे के बारे में एक नया लेख समाचार पत्र में प्रकाशित होने के दिन अटार्नी जनरल ने कहा कि इस चोरी की जांच की जा रही है.
- बता दें कि चोरी के दस्तावेज पर आधारित आलेख प्रकाशित करना सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन जैसा होगा, जिसके लिए अधिकतम 14 साल की कैद की सजा हो सकती है. वहीं अवमानना कानून के तहत छह महीने की जेल और 2000 रूपये का जुर्माना भी हो सकता है.
- वहीं, केंद्र के इस रूख के बाद द हिंदू प्रकाशन समूह के चेयरमैन एन. राम ने कहा है कि राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेज जनहित में प्रकाशित किए गए और उन्हें मुहैया करने वाले गुप्त सूत्रों के बारे में ‘द हिंदू' समाचारपत्र से कोई भी व्यक्ति कोई सूचना नहीं पाएगा.
- प्रख्यात पत्रकार एन. राम ने कहा कि दस्तावेज प्रकाशित किए गए क्योंकि ब्योरा दबा कर या छिपा कर रखा गया था.
- इस पीठ में न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम जोसफ भी शामिल हैं. यह पीठ राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को चुनौती देने वाली याचिकायें खारिज करने के शीर्ष न्यायालय के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
- पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने संयुक्त रूप से याचिकाएं दायर की थी. उन्होंने अपनी पुनर्विचार याचिका में आरोप लगाया है कि केन्द्र (सरकार) ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) को खारिज करने का फैसला सुनाने वाले शीर्ष न्यायालय से महत्वपूर्ण तथ्य छुपाये.
- प्रशांत भूषण ने जब ‘द हिन्दू' में वरिष्ठ पत्रकार एन राम के प्रकाशित आलेख का जिक्र किया, तो वेणुगोपाल ने कहा कि आलेख चोरी के दस्तावेजों पर आधारित है. अटार्नी जनरल ने कहा कि राफेल सौदे से संबंधित दस्तावेजों की चोरी के मामले में अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी है. उन्होंने कहा कि एन राम का आठ फरवरी को प्रकाशित आलेख और अब बुधवार को प्रकाशित एक अन्य आलेख का मकसद न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित करना है और यह न्यायालय की अवमानना जैसा है.
- अटार्नी जनरल ने कहा कि समाचार पत्र ने दस्तावेज के शीर्ष पर लिखा ‘गोपनीय' शब्द हटाकर इन्हें प्रकाशित किया है. उन्होंने पुनर्विचार याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुये ‘द हिन्दू' के आलेखों के आधार पर भूषण द्वारा बहस करने पर आपत्ति उठाई.
- पीठ ने केन्द्र से जानना चाहा कि उसने इस मामले में क्या कार्रवाई की है जब उसका आरोप है कि ये खबरें चोरी की सामग्री पर आधारित हैं.
- सिन्हा, शौरी और खुद अपनी ओर से बहस शुरू करते हुये भूषण ने कहा कि यदि इन महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया नहीं गया होता तो न्यायालय ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और जांच कराने के लिये दायर याचिकायें खारिज नहीं की होती. वेणुगोपाल ने कहा कि भूषण जिन दस्तावेजों को अपना आधार बना रहे हैं, वे रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए हैं और इस मामले में जांच जारी है.
- इस पर, प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि भूषण को सुनने का मतलब यह नहीं है कि शीर्ष न्यायालय राफेल सौदे के दस्तावेजों को रिकार्ड पर ले रही है. उन्होंने वेणुगोपाल से जानना चाहा कि इस सौदे से संबंधित दस्तावेज चोरी होने के बाद सरकार ने क्या कार्रवाई की. अटार्नी जनरल ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जिन दस्तावेजों को अपना आधार बनाया है, उन पर गोपनीय लिखा था और इसलिए यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है.
- वेणुगोपाल ने न्यायालय से यह भी कहा कि राफेल मामला रक्षा खरीद से संबंधित है जिसकी न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है.
- पिछले सप्ताह पाकिस्तान के साथ हुयी हवाई झड़प का जिक्र करते हुये अटार्नी जनरल ने कहा कि एफ-16 लड़ाकू विमानों के हमले से देश की रक्षा के लिए राफेल विमानों की जरूरत है.
- उन्होंने कहा, ‘राफेल विमानों के बगैर हम उनका प्रतिवाद कैसे कर सकते हैं.' उन्होंने कहा कि उड़ान भरने के लिये पूरी तरह से तैयार अवस्था में राफेल लड़ाकू विमानों के दो स्क्वाड्रन भारत आ रहे हैं. पहला, इस साल सितंबर तक भारत पहुंच जायेगा. उन्होंने यह भी कहा कि 1960 के दशक के मिग 21 ने एफ 16 का बखूबी मुकाबला किया लेकिन राफेल की जरूरत है.
- वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल मामले में शीर्ष न्यायालय के हर बयान का इस्तेमाल सरकार या विपक्ष को अस्थिर करने में किया जा सकता है और इसलिए न्यायालय को इससे (बयान से) बचना चाहिए. सुनवाई के दौरान पीठ ने अटार्नी जनरल से कुछ उलझाऊ सवाल भी पूछे.
- पीठ ने वेणुगोपाल से पूछा, ‘क्या राफेल सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है, क्या सरकार सरकारी गोपनीयता कानून की आड़ लेगी? मैं (सीजेआई) यह नहीं कर रहा कि ऐसा हुआ है लेकिन यदि ऐसा है तो क्या सरकार इस कानून की आड़ ले सकती है.' राफेल सौदे की सीबीआई जांच की मांग का विरोध करते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि इस सिलसिले में कोई भी आदेश देश को नुकसान पहुंचाएगा.पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा नहीं उठता क्योंकि आरोप भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बारे में हैं.
- वहीं, अटार्नी जनरल ने कहा, ‘कुछ मुद्दे न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर के हैं.' उन्होंने कहा, ‘क्या हमे यह पूछने के लिए अदालत आना होगा कि कब हम युद्ध की घोषणा करें, कब शांति की घोषणा करें? क्या हमें आना होगा और हर बार अदालत की इजाजत लेनी होगी? '