बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को एमपी/एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में 10 साल की सज़ा सुनाई है. साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. साथ ही मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी (BSP MP Afzal Ansari) को भी एमपी एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया है. तो जानिए मुख्तार ने कैसे खड़ा किया था अपराध का साम्राज्य...
- गाजीपुर के यूसुफपुर मोहम्मदाबाद के एक प्रतिष्ठित परिवार में पैदा हुआ मुख्तार अंसारी की अपराध की दुनिया में मुख्तार बनने की कहानी 1988 से शुरू होती है. मामला मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर शुरू हुआ था, जिसमे लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम सामने आया था. इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई. इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया.
- त्रिभुवन सिंह माफिया डॉन बृजेश सिंह का साथी था. बृजेश सिंह के पिता की हत्या में मुख्तार के गुरु रहे साधु सिंह और मकनू सिंह का नाम आया था. लिहाजा यहीं से त्रिभुवन सिंह और माफिया डॉन की दुश्मनी की कहानी मुख्तार से शुरू हो जाती है.
- 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू कर दिया. अपने काम को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से उनका सामना हुआ. 1991 में बनारस में अवधेश राय की हत्या में भी मुख्तार अंसारी का नाम आया जिसका मुकदमा अभी चल रहा है.
- 1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आए, लेकिन रास्ते में दो पुलिस वालों को गोली मारकर फरार होने का आरोप है. इसके बाद सरकारी ठेके, शराब के ठेके, कोयला के काले कारोबार को बाहर रहकर हैंडल करना शुरू किया. 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में उनका नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया.
- 1996 में मुख्तार पहली बार एमएलए बन गए और 2022 तक लगातार विधायक बना रहा. 2022 के चुनाव में मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी विधायक भी बना. 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद उनका नाम क्राइम की दुनिया में देश में छा गया. 2002 में ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया. इसमें मुख्तार के तीन लोग मारे गए. ब्रजेश सिंह घायल हो गए. इसके बाद मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे.
- अक्टूबर 2005 में मऊ में हिंसा भड़की. इसके बाद उन पर कई आरोप लगे, जिन्हें खारिज कर दिया गया. इसी दौरान उन्होंने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, तभी से वे जेल में बंद हैं. कृष्णानंद राय से मुख्तार के भाई अफजल अंसारी चुनाव हार गए. मुख्तार पर आरोप है कि उन्होंने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और अतिकुर्रह्मान उर्फ बाबू की मदद से गोडउर के पास 5 साथियों सहित कृष्णानंद राय की हत्या करवा दी.
- 2010 में अंसारी पर राम सिंह मौर्य की हत्या का आरोप लगा. मौर्य, मन्नत सिंह नामक एक स्थानीय ठेकेदार की हत्या का गवाह था. बसपा ने मुख्तार और उनके दोनों भाइयों को 2010 में निष्कासित कर दिया. कृष्णानंद राय मर्डर केस- साल 2005 में मुख्तार अंसारी जेल में बंद थे. इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय को उनके 6 साथियों सहित सरेआम गोलीमार हत्या कर दी गई. हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थी. मारे गए सातों लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गई थी. इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय 2006 में रहस्यमई परिस्थितियों में मृत पाया गया था.
- कृष्णानंद राय के काफिले पर हमला करने वालों में से अंसारी और बजरंगी के निशानेबाजों अंगद राय और गोरा राय को पहचान लिया था. मुख्तार अंसारी पर तकरीबन 61 मुकदमे दर्ज हैं जिसमें से एक दर्जन से अधिक मामले विचाराधीन है.
- 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद मुख्तार अंसारी पर शिकंजा कसना शुरू हुआ. अब तक उसकी सैकड़ों करोड़ की नामी और बेनामी संपत्तियों पर बुलडोजर चल चुका है और जब की जा चुकी है. मजे की बात यह है कि जिस मुकदमे ने उसे गैंगस्टर एक्ट के तहत सजा हुई है उस कृष्णानंद राय हत्याकांड में वह बरी हो चुका है.
- 15 जुलाई 2001 को उसरी चट्टी कांड हुआ था .जिसमें बृजेश सिंह के लोगों ने मुख्तार पर हमला किया था मुख्तार के गनर की मौत हो गई थी. उसका एक साथी रुस्तम इलाज के दौरान मर गया था. मुख्तार अंसारी पर हमला करने वाला एक हमलावर भी मारा गया था. इस मामले में बृजेश सिंह त्रिभुवन सिंह अनिल सिंह नामजद हुए थे. मुख्तार अंसारी ने 2009 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर वाराणसी से लड़ा , जबकि वह जेल में बंद था. 17,211 मतों के अंतर से भाजपा के मुरली जोशी से हार गया.