चाबाहार पोर्ट ईरान की पाकिस्तान से लगी सीमा के बेहद करीब है।
नई दिल्ली:
भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह (पोर्ट) परियोजना के काम में तेजी लाने पर सहमति बनी है, इस प्रोजेक्ट से ईरान की मध्य एशिया में पहुंच आसान होगी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहली ईरान यात्रा के दौरान इस मसले पर बातचीत हुई।
मामले से जुड़ी 10 बातें....
- दोनों देशों ने वर्ष 2003 में ओमान की खाड़ी के पास चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का फैसला किया था। यह स्थान ईरान की पाकिस्तान से लगी सीमा के बेहद करीब है।
- दक्षिण पूर्व ईरान स्थित इस बंदरगाह से भारत, पाकिस्तान की मदद के बिना समुद्री मार्ग के जरिये अफगानिस्तान और मध्य एशिया में माल का परिवहन कर सकेगा।
- पाकिस्तान अपने क्षेत्र से अफगानिस्तान माल भेजने की इजाजत नहीं देता है। हाल ही में उसने अफगानिस्तान से भारत को थोड़े निर्यात की अनुमति देना शुरू किया है।
- चाबहार प्रोजेक्ट का काम ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध के कारण बेहद धीमी गति से चला है। हालांकि हाल में यह प्रतिबंध हटा लिए गए हैं।
- अमेरिका की अगुवाई में लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंध के बावजूद दोनों देशों ने आपसी संबंध बरकरार रखे। इन प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2014 में प्रतिदिन 2 लाख 20 हजार बैरल तेल का व्यापार घटकर आधा हो गया था।
- पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के जवाब के तौर पर भारत चाबहार बंदरगाह को विकसित करना चाहता है। ग्वादर बंदरगाह को पाकिस्तान, चीन के सहयोग से विकसित कर रहा है और यह चाबहार से महज 72 किमी दूर है।
- फरवरी में सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए ईरान में एक कंपनी के गठन के साथ 150 मिलियन डॉलर के 'लाइन ऑफ क्रेडिट' को मंजूरी दी थी
- चार दिन के ईरान और रूस के दौरे के अंतर्गत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की है। विदेश मंत्री की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि इस दौरान निर्णायक साझेदारी के रूप में चाबहार को विकसित करने पर बातचीत हुई, जो पूरे क्षेत्र को जोड़ने में सक्षम भूमिका निभा सकता है।
- चाबहार ऐसा पहला विदेशी बंदरगाह है जिसके विकास से भारत सीधे जुड़ा हुआ है।
- ईरान सरकार की ओर से चाबहार को मुक्त व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र के रूप में नामित किया गया है। इसके व्यापार मुक्त क्षेत्र स्टेटस के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार में इसकी अहम भूमिका हो गई है।