सुप्रीम कोर्ट की लिस्ट के मुताबिक दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी.
नई दिल्ली:
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मामले में अगले हफ्ते बड़ा फैसला आ सकता है. बता दें कि बीते दिनों से लंबित चल रहे मामले में 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट की लिस्ट के मुताबिक दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी.
- पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के उस स्थान को संरक्षित रखने का आदेश दिया था जहां हिन्दू पक्ष ने शिवलिंग होने का दावा किया था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिला जज को इस मामले की सुनवाई का आदेश दिया था, जिसके बाद जिला जज इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं.
- गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सालों से विवाद चला आ रहा है. काशी विश्वनाथ से सटा एक हिस्सा है, जो ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है. इस मस्जिद परिसर के अंदर श्रृंगार गौराी मंदिर है. इसी के लेकर विवाद है.
- हिंदू पक्ष का कहना है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाया गया है. जबकि मुस्लिम पक्ष इस दावे को झुठलाते आया है. उनका कहना है कि वक्फ की संपत्ति पर मस्जिद का निर्माण हुआ है.
- इसी विवाद के बीच बीते वर्ष अगस्त में पांच महिलाओं की ओर से ज़िला अदालत में याचिका दाखिल की गई. महिलाओं की मांग थी कि उन्हें ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने की अनुमति दी जाए. इस बाबत उन्होंने ये तर्क दिया कि जिस स्थल को एक पक्ष मस्जिद बता रहा है, वो मस्जिद है ही नहीं. औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया.
- इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया. प्रशासनिक अधिकारियों और दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वे कराया गया, जिसके अंतिम दिन हिंदू पक्ष की ओर से ये दावा किया गया कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग है.
- दरअसल, मस्जिद के वजु खाना स्थिति तालाब के बीचों-बीच एक आकृति दिखी, जिसे हिंदू पक्ष ने शिवलिंग बताया. जबकि मुस्लिम पक्ष में इसे फव्वारा बताया.
- सर्वे रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद जिला जज ने उक्त स्थल को सील करने का आदेश दे दिया. ऐसे में मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट गया और जिला कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सील हटाने की गुहार लगाई.
- मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है, वो मस्जिद का वजु खाना है. ऐसे में नमाजियों को उसके सील हो जाने से दिक्कत हो रही है. ऐसे में उक्त स्थल को मुक्त किया जाए. इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि उक्त स्थल को सील रखते हुए दूसरे पक्ष को कोई दिक्कत ना हो इसका ख्याल रखा जाए.
- अब इसी मामले में 21 जुलाई को सुनवाई होगी. यदि मस्जिद की जगह मंदिर का हक दिया जाता है तो यह संसद द्वारा पारित एक एक्ट का उल्लंघन होगा.
- संसद में सन 1991 में 'प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट' पारित हुआ था. इसमें निर्धारित किया गया कि सन 1947 में जो इबादतगाहें जिस तरह थीं उनको उसी हालत पर कायम रखा जाएगा. साल 2019 में बाबरी मस्जिद मुकदमे के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अब तमाम इबादतगाहें इस कानून के मातहत होंगी और यह कानून दस्तूर हिंद की बुनियाद के मुताबिक है.