नई दिल्ली:
गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी बिल को अगले सप्ताह मंजूरी के लिए संसद के उच्च सदन राज्यसभा में पेश किए जाने की अटकलों के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार सुबह कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ कई बैठकें कीं...
मामले से जुड़े 10 ताजातरीन अपडेट...
- लोकसभा द्वारा पिछले साल ही पारित कर दिए गए बिल को राज्यसभा में पारित होने से अब तक रोकती आ रही कांग्रेस पार्टी के एक शीर्ष नेता ने कहा, "जीएसटी को लेकर बातचीत बिल्कुल सही दिशा में जा रही हैं..."
- अरुण जेटली ने वाम नेताओं और बीजू जनता दल (बीजेडी) और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे दलों से भी मुलाकात की... जल्द ही वित्तमंत्री द्वारा जीएसटी के मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की भी संभावना है...
- कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों का समर्थन हासिल करने के लिए सरकार ने बिल में कई अहम बदलावों को मंजूर कर लिया है... उत्पादक राज्यों को मदद देने की खातिर लगाए गए एक फीसदी के अतिरिक्त अंतर-राज्यीय कर को भी अधिकतर राज्यों और कांग्रेस पार्टी के बीच बनी एकजुटता के बाद खत्म कर दिया गया है...
- एक राष्ट्रीय कर के रूप में जीएसटी बहुत-से अलग-अलग करों की जगह लेगा, और सभी सरकारों को उससे राजस्व की प्राप्ति होगी... इसलिए सरकार ने ज़्यादा उत्पादन करने वाले तमिलनाडु जैसे राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने की सुविधा प्रदान की थी... कांग्रेस ने इसका विरोध किया...
- एक महत्वपूर्ण नुक्ता मंगलवार को राज्यों के वित्तमंत्रियों के साथ हुई अरुण जेटली की बैठक में उनके सामने रखा गया कि रद्द किए गए टैक्स की एवज में केंद्र सरकार उन राज्यों को पांच साल तक मुआवज़ा दे, जिन्हें राजस्व की हानि होगी...
- केंद्र राजस्व बंटवारे को लेकर होने वाले विवादों को निपटाने के लिए बनाई जाने वाली स्वतंत्र इकाई में भी राज्यों को अधिक अधिकार देने पर सहमत हो गया है...
- इस टैक्स सुधार को वास्तविकता में तब्दील करने के लिए केंद्र सरकार को न सिर्फ राज्यों का समर्थन पाना होगा, बल्कि इस संविधान संशोधन विधेयक को पारित करवाने के लिए विपक्ष के बहुमत वाली राज्यसभा में भी दो-तिहाई बहुमत हासिल करना होगा...
- 243-सदस्यीय राज्यसभा में कांग्रेस के सबसे ज़्यादा 60 सदस्य हैं... वह अब तक इस बिल को इस तर्क के साथ रोकती आई है कि कर की अधिकतम सीमा को 18 प्रतिशत तय कर दिया जाना चाहिए, हालांकि यह बताया गया है कि वह इस बात के लिए मान गई है कि इस सीमा का उल्लेख नए कानून में किया जाना ज़रूरी नहीं है...
- बीजू जनता दल और तृणमूल कांग्रेस जैसे क्षेत्रीय दल बिल का समर्थन कर रहे हैं, जबकि राज्यसभा में 13 सदस्य वाली तमिलनाडु में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके इसके पक्ष में नहीं है... सरकार के सूत्रों का कहना है कि उन्हे उम्मीद है कि वोटिंग के वक्त एआईएडीएमके वॉकआउट कर जाएगी, जिससे बिल को पारित करवाने के लिए आवश्यक वोटों की संख्या घट जाएगी...
- हालांकि सरकार द्वारा ज़रूरी संख्या का जुटा लिया जाना संभव दिख रहा है, लेकिन बिल के पारित होने के लिए यह भी ज़रूरी है कि कांग्रेस कोई अड़ंगा न डाले, और प्रस्ताव पर बहस और वोटिंग होने दे, और यह वह सहयोग है, जो कांग्रेस ने अब तक नहीं दिया है...