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'राज्यपाल कोई देवदूत नहीं हैं, वे इंसान हैं और...' : शिवसेना गुट ने सुप्रीम कोर्ट में रखी दलील

शिवसेना की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेकमनु सिंघवी ने कहा कि ये कहना गलत होगा की गवर्नर पॉलिटिकल नहीं हो सकता.

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे.
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच फ्लोर टेस्ट के फैसले के खिलाफ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस याचिका पर बुधवार शाम को करीब 3.30 घंटे सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे ग्रुप ने गवर्नर के राजनीतिक होने का आरोप लगाया. शिवसेना की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेकमनु सिंघवी ने कहा कि ये कहना गलत होगा की गवर्नर पॉलिटिकल नहीं हो सकता. इन्हीं गवर्नर ने सालों तक 12 सदस्यों को नॉमिनेट नहीं होने दिया. गवर्नर के ऑफिस को भी देखा जाना जरूरी है. गवर्नर ने किसी भी विधायक से बात तक नहीं की. गवर्नर ने मुख्यमंत्री से बात तक नहीं की और एकतरफा फैसला ले लिया.

  1. 'राज्यपाल कोई देवदूत नहीं हैं, वे इंसान हैं और  इसलिए पहले भी एसआर बोम्मई और रामेश्वर प्रसाद आदि मामलों में न्यायालय के फैसले आए हैं.' 
  2. 'शक्ति परीक्षण इतने कम समय में कराने का राज्यपाल का आदेश चीजों को गलत तरीके या गलत क्रम से कराने जैसा है.'
  3. शिवसेना की ओर से सिंघवी ने रिजॉइंडर दलील में न्यायालय में कहा कि उनके मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष ही हमेशा संदिग्ध और राजनीतिक हैं, राज्यपाल तो बहुत सीधे-सच्चे हैं.
  4. 'जिन विधायकों ने पाला बदल लिया है वे जनता की इच्छा को प्रदर्शित नहीं करते हैं और कल शक्ति परीक्षण नहीं हुआ तो कोई आपदा नहीं आ जाएगी.'
  5. 'न्यायालय को उस वक्त तक शक्ति परीक्षण कराने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, जब तक कि डिप्टी स्पीकर बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर फैसला नहीं करते हैं.'
  6. 'राकांपा के दो विधायक कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, कांग्रेस के दो विधायक विदेश में हैं और उन्हें एक दिन में शक्ति परीक्षण में हिस्सा लेने को कहा गया है.'

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