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मोरबी ब्रिज हादसे की आरोपी घड़ी निर्माता कंपनी Oreva से जुड़ी 10 बातें...

गुजरात के मोरबी में बेहद पुराने ब्रिज का जीर्णोद्धार करने वाली घड़ी निर्माता कंपनी ओरेवा पर अपने काम में लापरवाही बरतने का आरोप है जिसके चलते फिर से खोले जाने के चार दिन बाद ही यह पुल धराशायी हो गया. सोमवार को हुए इस हादसे में 135 लोगों को जान गंवानी पड़ी. कंपनी के मालिक लापता हैं.

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ओरेवा ने हैवी फ्लोरिंग लगाई लेकिन जंग लगी मुख्‍य केबल को नहीं बदला

गुजरात के मोरबी में बेहद पुराने ब्रिज का जीर्णोद्धार करने वाली घड़ी निर्माता कंपनी ओरेवा पर अपने काम में लापरवाही बरतने का आरोप है जिसके चलते फिर से खोले जाने के चार दिन बाद ही यह पुल धराशायी हो गया. सोमवार को हुए इस हादसे में 135 लोगों को जान गंवानी पड़ी. कंपनी के मालिक लापता हैं.

  1. गुजरात स्थित ओरेवा को घड़ियां, घड़ियां, पंखे, ई-बाइक और एलईडी लाइट बनाने के लिए जाना जाता है. कंपनी को  मोरबी नगरीय निकाय की ओर से ब्रिज के संचालन और रखरखाव के लिए 15 साल का अनुबंध दिया गया था. जांच में पाया गया है कि उसे इस तरह की मरम्मत का कोई अनुभव नहीं था.
  2. ओरेवा ग्रुप की अगुवाई जयसुख पटेल कर रहे हैं.  उनके पिता ओधवजी राघवजी पटेल,  जो दीवार घड़‍ियां बनाते थे, ने वर्ष 1971 में अजंता क्‍वार्ट्ज की स्‍थापना की थी.
  3. ओरेवा को वर्ष 2007 में भी ठेका दिया गया था, हालांकि वह इस तरह के काम की योग्‍यता नहीं रखती थी करीब 7 माह  के जीर्णोद्धार के बाद 230 मीटर लंबे स्‍ट्रक्‍चर को फिर से खोला गया था.
  4. टाइम्‍स ऑफ इंडिया में प्रकाशित लेटर के अनुसार, कंपनी ने 2020 में ब्रिज के काम अस्‍थायी रूप से मरम्‍मत (temporary repairs)की और लोगों की जान को जोखिम में डालते हुए इस वर्ष मार्च तक इस ब्रिज को खुला रखा.
  5. ओरेवा ने कथित तौर पर जिला अधिकारियों को लिखा था कि एक पूर्ण नवीनीकरण "स्थायी समझौते" के अधीन था. लेटर बताता है कि 2007 से नियमित अंतराल पर टर्म कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने के बाद कंपनी एक और अस्थायी समझौते को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी.
  6. कोर्ट  ब्रिटिश-युग के इस ब्रिज के जीर्णोद्धार में कई खामियों की ओर से सरकारी वकील ने ध्‍यान आकर्षित किया. उपयोग की गई सामग्री घटिया थी. यही नहीं,  पुल को जनता के लिए फिर से खोलने से पहले कोई गुणवत्ता जांच नहीं की गई. 
  7. कंपनी ने हैवी फ्लोरिंग लगाई लेकिन जंग लगी मुख्‍य केबल को नहीं बदला. केबल्‍स को केवल पॉलिश-पेंट करके काम चलाया गया. 
  8. इस सस्पेंशन ब्रिज के कई केबलों पर जंग लग चुका था, जिस वजह से उनकी भार उठाने की झमता पहले के मुकाबले कम हो गई थी. 
  9. इसके साथ ही आपातकालीन बचाव और निकासी योजना नहीं थी. ब्रिज पर कोई जीवन रक्षक उपकरण या लाइफगार्ड नहीं था और मरम्मत कार्य का कोई दस्तावेज नहीं था. 
  10. मोरबी पुल की मरम्मत में जिन सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया था, उनकी गुणवत्ता 'घटिया' थी. इस वजह से पुल की संरचना ही कमजोर बनी. 

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