मस्जिद प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक बगल में स्थित है. (फाइल फोटो)
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वेक्षण करने पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है.
ज्ञानवापी पर सुनवाई से जुड़ी 10 बड़ी बातें -
- वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 21 जुलाई को चार महिलाओं की याचिका के आधार पर एएसआई सर्वे का आदेश दिया था. उन्होंने दावा किया था कि ये यह निर्धारित करने का एकमात्र तरीका है कि ऐतिहासिक मस्जिद हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी या नहीं. मस्जिद प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक बगल में स्थित है.
- एएसआई ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू किया, लेकिन मस्जिद समिति के संपर्क करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही घंटों के भीतर इस पर रोक लगा दी थी. मस्जिद समिति ने तर्क दिया था कि संरचना एक हजार साल से अधिक पुरानी है और कोई भी खुदाई इसे अस्थिर कर सकती है, यह गिर सकता है. समिति ने ये भी तर्क दिया था कि ऐसा कोई भी सर्वेक्षण धार्मिक स्थलों के आसपास मौजूदा कानूनों का उल्लंघन है.
- हालांकि, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि सर्वेक्षण किसी भी तरह से संरचना में बदलाव नहीं करेगा और जोर दिया कि "एक ईंट भी नहीं हटाई गई है और न ही इसकी योजना बनाई गई है". भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सर्वेक्षण योजना में केवल माप, फोटोग्राफी और रडार अध्ययन शामिल हैं.
- अदालत ने याचिकाकर्ताओं को आदेश को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने की अनुमति दी. 26 और 27 जुलाई, दो दिनों तक मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आज के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
- ज्ञानवापी मस्जिद 2021 में तब सुर्खियों में आई थी जब महिलाओं के एक समूह ने साल के सभी दिनों में ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवताओं की पूजा करने की अनुमति के लिए वाराणसी की निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
- पिछले साल अप्रैल में कोर्ट ने इस याचिका के आधार पर परिसर के वीडियो सर्वे का आदेश दिया था. जब मई में सर्वे किया गया, तो एक संरचना मिली, जिसके बारे में याचिकाकर्ताओं का दावा था कि वह 'शिवलिंग' है.
- हालांकि, मस्जिद प्रबंधन समिति ने कहा कि संरचना 'वज़ुखाना' में एक फव्वारे का हिस्सा थी, जो पानी से भरा क्षेत्र है जहां लोग प्रार्थना करने से पहले अपने हाथ और पैर धोते हैं. मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसी महीने 'शिवलिंग' क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया था.
- पिछले साल सितंबर में, वाराणसी जिला न्यायाधीश, जिनके पास मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थानांतरित किया गया था, ने मस्जिद समिति की चुनौती को खारिज कर दिया, जिसमें तर्क दिया गया था कि परिसर के अंदर हिंदू देवताओं की पूजा करने का महिलाओं का अनुरोध सुनवाई योग्य नहीं था.
- इस साल मई में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी समिति की याचिका को खारिज कर दिया.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र में स्थित, ज्ञानवापी मस्जिद उन कई मस्जिदों में से एक है, जिनके बारे में कुछ लोगों का मानना है कि इन्हें हिंदू मंदिरों के खंडहरों पर बनाया गया था. यह अयोध्या और मथुरा के अलावा तीन मंदिर-मस्जिद विवादों में से एक था, जिसे भाजपा ने 1980 और 1990 के दशक में उठाया था.