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'सोहराबुद्दीन मुठभेड़ फर्जी नहीं था', कोर्ट ने सभी 22 आरोपियों को बरी किया, पढ़ें मामले की 10 बड़ी बातें

सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में आखिरकार 13 साल बाद सीबीआई की स्पेशल कोर्ट का फैसला आ गया.

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Sohabuddin Sheikh Case Verdict Live Updates: सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया
मुंबई:

सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में आखिरकार 13 साल बाद सीबीआई की स्पेशल कोर्ट का फैसला आ गया. सीबीआई की विशेष अदालत ने अपने फैसले में किसी तरह की साजिश से इनकार करते हुए सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है. विशेष अदालत ने कहा कि है कि जो भी साक्ष्य और सबूत पेश किए गए, उसमें किसी तरह की साजिश नहीं दिखती. इस मामले में शुरुआत में कुल 38 आरोपी थे, लेकिन मुकदमा शुरू होने से पहले ही आरोपी नेता और IPS अधिकारी आरोप मुक्त हो गए. बचे 22 आरोपियों में 21 जूनियर पुलिसकर्मी और एक बाहरी व्यक्ति हैं. हालांकि, अब इस मामले में सभी को कोर्ट ने बरी कर दिया है. 

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस की 10 बातें

  1. सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में 13 साल बाद फैसला आया है. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है.
  2. इस मामले में आरोपियों की लिस्ट में अमित शाह का नाम भी शामिल था, जिसकी वजह से फैसले के सियासी मायने भी निकाले जा रहे थे. हालांकि, उन्हें 2014 में आरोप मुक्त कर दिया गया था. शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री हुआ करते थे.
  3. अमित शाह के अलावा राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल थे.
  4. कोर्ट ने माना है कि सोहराबुद्दीन केस में किसी तरह की साजिश की बात की पुष्टि नहीं हुई है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में साजिश की बात कहीं से भी साबित नहीं हुई. अभियोजन पक्ष लिंक साबित कर पाने में असफल रहा.
  5. साल 2005 के इस मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे, जिनमें ज्यादातर गुजरात व राजस्थान के पुलिसकर्मी हैं.
  6. सोहराबुद्दीन मामले में सभी 22 आरोपियों को खिलाफ कोई चार्ज सिद्ध नहीं हो पाया. हत्या मामले में कोर्ट ने माना कि हत्या गोली लगने हुई है लेकिन यह गोली 22 में से किस आरोपी ने चलाई, यह साबित नहीं हो पाया.  
  7. वहीं कोर्ट में बचाव पक्ष का कहना है कि हमारा मुकदमा मेरिट पर लड़ा गया. यह रिजल्ट मेरिट पर आया है. गवाहों को द्वेषपूर्ण तरीके से परेशान किया गया था, इसलिए कोर्ट ने गवाही को मानने से इनकार कर दिया.  
  8. सोहराबुद्दीन केस में कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि यह कोई फर्जी मुठभेड़ नहीं था. 
  9. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि हमारा मुकदमा मेरिट पर लड़ा गया. यह रिजल्ट मेरिट पर आया है. विटनेस हॉस्टाइल हो गए थे इसलिए कोर्ट ने उनकी गवाही को सही नहीं माना. 
  10. कोर्ट ने साजिश मानने से इनकार कर दिया.

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