छठ पूजा (Chhath Puja) का त्योहार षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. लोकपर्व छठ पूजा पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार में मनाया जाने वाला त्योहार है. छठ पूजा का त्योहार सोमवार (8 नवंबर) से शुरू हो चुका है, जो 11 नवंबर तक चलेगा. बता दें कि ये पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से शुरू होता है, जो पंचम तिथि पर खरना और षष्ठी पर छठ पूजा (Chhath Puja) व सप्तमी तिथि पर उषा अर्घ्य के बाद पूर्ण होता है. चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार में सूर्य देवता का विधिवत व्रत रखा जाता है. इसके बाद सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है. भक्त छठ पूजा (Chhath Puja) संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा और सुखमय जीवन के लिए पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार छठ पूजा (Chhath Puja) को करने से छठी मैय्या हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती हैं. यूं तो छठ पूजा के लिए किसी खास मंत्र चलन में नहीं है, लेकिन आप सूर्य को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
नहाय खाय
छठ का महापर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है. इस दिन भक्त नदी में डुबकी लगाते हैं, अपने घर के चारों ओर साफ-सफाई पूरा दिन उपवास रखते हैं.
लोहंडा और खरना
इस पर्व का दूसरा दिन होता है लोहंडा और खरना, इस दिन भी भक्त पूरा दिन उपवास करते हैं और शाम को सूर्यास्त के समय और रात में चंद्रमा को पूड़ी खीर चढ़ा कर ही अपना उपवास खोलते हैं. खीर के अलावा खरना की पूजा में मूली और केला रखकर पूजा की जाती है. इसके अलावा प्रसाद में पूड़ियां, गुड़ की पूड़ियां और मिठाइयां रखकर भी भगवान को भोग लगाया जाता है.
संध्या अर्घ्य
तीसरे दिन तैयार किया जाता है सूर्य देव को अर्पित किया जाने वाला भोग. सूर्यास्त के दौरान व्रत रखने वाले भक्तों को सूर्य देव की पूजा के लिए कई तैयारियां करनी होती है. टोकरी की पूजा कर व्रती सूर्य को अर्ध्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं और स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा करते हैं.
उषा अर्घ्य
इस पर्व के अंतिम यानी चौथे दिन भक्त परिवार के सभी सदस्यों के साथ प्रातः सूर्योदय के समय विधिवत पूजा कर प्रसाद वितरित करते हैं और इसी प्रसाद से वह अपना व्रत खोलते हैं.
सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का कर सकते हैं जाप
यूं तो छठ पूजा के लिए किसी खास मंत्र चलन में नहीं है. लेकिन आप सूर्य को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
सूर्यदेव मंत्र (Surya Dev Mantra)
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते।।
अर्घ्य देते समय सूर्य अर्घ्य मंत्र
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।
ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:
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