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This Article is From Jan 07, 2022

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार को किया जाता है इन मंत्रों का जाप

मान्यता है कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सिर्फ धन की ही नहीं, बल्कि वैभव की भी प्राप्ति होती है. इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत और विधि-विधान से पूजा-पाठ किया जाता है. इस दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप कर उत्तम माना जाता है.

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार को किया जाता है इन मंत्रों का जाप
शुक्रवार को इन खास मंत्रों के जाप से कर सकते हैं मां लक्ष्मी को प्रसन्न
नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) का दिन माना जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा-पाठ करते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार, धन और संपत्ति की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी का जन्म समुद्र से हुआ था. माना जाता है कि इनकी पूजा करने से सिर्फ धन की ही नहीं, बल्कि वैभव की भी प्राप्ति होती है. मान्यताओं के आधार पर शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान श्री हरि विष्णु, भगवान गौरी गणेश और भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है. आज के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप कर शुभ माना जाता है. आइए आपको बताते हैं मां लक्ष्मी की पूजा के समय जपे जाने वाले मंत्र.

Laxmi Puja: शुक्रवार के दिन ऐसे करें धन और यश की देवी मां लक्ष्मी का पूजन 

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मां लक्ष्मी का बीज मंत्र

  • मां लक्ष्मी के इस बीज मंत्र का जाप कमल गट्टे की माला से की जाती है.
  • ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।

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श्री लक्ष्मी महामंत्र

  • ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
  • ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।।
  • या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
  • या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
  • या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
  • सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

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आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।

यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।

पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

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श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥

वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥

सन्धया रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती॥

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शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

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ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,

धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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