वर्तमान में चार धाम यात्रा के बारे में जिससे भी पूछिए, वे बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का नाम गिना देते हैं. जबकि ये वास्तविक चार धाम न होकर छोटी चार धाम हैं.
भारतीय धर्मग्रंथों में बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम की चर्चा चार धाम के रूप में की गई है. इसे आज कल बड़ी चार धाम भी कहा जाता है. असल में चार धाम से तात्पर्य इन चार तीर्थस्थानों से ही है.
चार धाम यात्रा क्यों करते हैं, इसके बारे में कोई निश्चित नियम और कारण धर्मग्रंथों में नहीं है और न ही चार धाम यात्रा की उत्पत्ति के संबंध में कोई निश्चित मान्यता और साक्ष्य उपलब्ध हैं. लेकिन ये ग्रन्थ उल्लेखित करते हैं कि यह यात्रा न सिर्फ पाप से मुक्त करती है बल्कि जन्म और मृत्यु के चक्र से परे ले जाती है अर्थात मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है.
हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णन मिलता है कि जो पुण्यात्मा यहां का दर्शन करने में सफल होते हैं, उनके न केवल इस जनम के पाप धुल जाते हैं, वरन वे जीवन-मरण के बंधन से भी मुक्त हो जाते हैं. लेकिन ये बात प्रायः सभी तीर्थों पर भी समान रूप से लागू होती है. हिन्दू धर्मग्रंथों में यह भी कहा गया है ये वही पवित्र स्थान हैं, जहां पृथ्वी और स्वर्ग एकाकार होते हैं.
जहां तक छोटी चार धाम यात्रा की बात है, तो तीर्थयात्री इन स्थानों की यात्रा में सबसे पहले यमुनोत्री और गंगोत्री का दर्शन करते हैं. फिर इन स्थानों से पवित्र जल लेकर केदारनाथ शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और फिर भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथजी के दर्शन करते हैं.
भारतीय धर्मग्रंथों में बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम की चर्चा चार धाम के रूप में की गई है. इसे आज कल बड़ी चार धाम भी कहा जाता है. असल में चार धाम से तात्पर्य इन चार तीर्थस्थानों से ही है.
चार धाम यात्रा क्यों करते हैं, इसके बारे में कोई निश्चित नियम और कारण धर्मग्रंथों में नहीं है और न ही चार धाम यात्रा की उत्पत्ति के संबंध में कोई निश्चित मान्यता और साक्ष्य उपलब्ध हैं. लेकिन ये ग्रन्थ उल्लेखित करते हैं कि यह यात्रा न सिर्फ पाप से मुक्त करती है बल्कि जन्म और मृत्यु के चक्र से परे ले जाती है अर्थात मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है.
हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णन मिलता है कि जो पुण्यात्मा यहां का दर्शन करने में सफल होते हैं, उनके न केवल इस जनम के पाप धुल जाते हैं, वरन वे जीवन-मरण के बंधन से भी मुक्त हो जाते हैं. लेकिन ये बात प्रायः सभी तीर्थों पर भी समान रूप से लागू होती है. हिन्दू धर्मग्रंथों में यह भी कहा गया है ये वही पवित्र स्थान हैं, जहां पृथ्वी और स्वर्ग एकाकार होते हैं.
जहां तक छोटी चार धाम यात्रा की बात है, तो तीर्थयात्री इन स्थानों की यात्रा में सबसे पहले यमुनोत्री और गंगोत्री का दर्शन करते हैं. फिर इन स्थानों से पवित्र जल लेकर केदारनाथ शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और फिर भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथजी के दर्शन करते हैं.
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