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This Article is From Nov 17, 2022

Saphala Ekadashi 2022: साल 2022 की आखिरी एकादशी कब है, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Saphala Ekadashi 2022: साल 2022 की आखिरी एकादशी पौष माह में आएगी. आमतौर पर इसे लोग सफला एकादशी कहते हैं. आइए जानते हैं सफला एकादशी की डेट, मुहूर्त और महत्व.

Saphala Ekadashi 2022: साल 2022 की आखिरी एकादशी कब है, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Saphala Ekadashi 2022: इस दिन है साल की आखिरी एकादशी.

Saphala Ekadashi 2022 Date And Time: साल 2022 का ग्यारहवां महीना चल रहा है. इसके बाद साल 2022 का आखिरी महीना दिसंबर शुरू हो जाएगा. इसके बाद अंग्रेजी नए साल की शुरुआत होगी. पूरे साल में कई व्रत-त्योहार आते हैं जिनमें से एक है एकादशी का व्रत. हर महीने दोनों पक्ष की एकादशी तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. हर पक्ष की एकादशी व्रत का महत्व और उसका नाम अलग-अलग होता है. साल 2022 की आखिरी एकादशी पौष माह में आएगी, इसे सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं सफला एकादशी की डेट, मुहूर्त और महत्व.

सफला एकादशी 2022 तिथि | Saphala Ekadashi 2022 Date

इस समय मार्गशीर्ष माह चल रहा है जिसकी समाप्ति 8 दिसंबर 2022 को है. इसके बाद 9 दिसंबर 2022 से पौष माह शुरू हो जाएगा. पौष माह के कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी 19 दिसंबर 2022, सोमवार को है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि जो कोई सच्ची श्रद्धा से इस दिन व्रत कर श्रीहरि की उपासना करता है उसे मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक प्राप्त होता है.

सफला एकादशी 2022 मुहूर्त | Saphala Ekadashi 2022 Muhurat

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 19 दिसंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी और एकादशी तिथि का समापन 20 दिसंबर 2022 को सुबह 02 बजकर 32 मिनट पर होगा. सफला एकादशी व्रत का पारण 20 दिसंबर 2022 को सुबह 08 बजकर 05 से सुबह 09 बजकर 16 मिनट तक किया जाएगा.

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सफला एकादशी महत्व | Saphala Ekadashi Significance

धार्मिक मान्यता के अनुसार सफला एकादशी सबका कल्याण करने वाली मानी जाती है. कहते हैं कि इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मनचाही इच्छाएं पूरी होती है. मान्यता है कि सफला एकादशी के दिन जो कार्य शुरु करते हैं वह पूर्ण रूप से सफल होता है. शास्त्रों के अनुसार जो सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की साधना करते हुए व्रत और रात्रि जागरण करता है उसे कई सालों की तपस्या का पुण्य मिलता है. साथ ही उसके समस्त दुख और दोष खत्म हो जाते हैं. सफला एकादशी का व्रत का पारण द्वादशी को किया जाता है, व्रत खोलने से पहले द्वादशी के दिन किसी जरूरमंद व्यक्ति या फिर ब्राह्मण को भोजन कराएं. यथाशक्ति दान करें. मान्यता है इससे अश्वमेध यज्ञ करने का समान फल मिलता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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