Margashirsha Amavasya 2022 Date: मार्गशीर्ष मास स्नान-दान, पूजा-पाठ और भगवान की भक्ति के लिए खास होता है. शास्त्रों में इस महीने को जाग्रह माह कहा गया है. दरअसल इस महीने भगवान विष्णु भी चार महीने के योगनिद्रा से जाग गए होते हैं. साथ ही इन दौरान शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यो के लिए भी शुभ मुहूर्त की शुरूआत हो गई होती है. वहीं इस पवित्र मास में भगवान श्रीकृष्ण का विशेष महत्व बताया जाता है. भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि वे समस्त मासों में मार्गशीर्ष मास हैं. सतयुग में देवता मार्गशीर्ष मास के प्रथम दिन को वर्ष का प्रारंभ मानते थे. इस महीने में नदियों में स्नान करना चाहिए और तुलसी और तुलसी के पौधे की जड़ों का उपयोग करना चाहिए. इस पूरे माह में भजन, कीर्तन आदि में भक्तों को शामिल देखा जा सकता है. माना जाता है कि इस महीने की अमावस्या में पितृ पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. जिन लोगों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान सुख की कमी हो या राहु नवम भाव में नीच का हो उन्हें इस अमावस्या का व्रत अवश्य करना चाहिए. इस व्रत को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त | Margashirsha Amavasya 2022 Date Shubh Muhurat
मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि - 23 नवंबर 2022, बुधवार
अमावस्या तिथि आरंभ - 23 नवंबर 2022, बुधवार, प्रातः 06:56 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त - 24 नवंबर 2022, गुरुवार, प्रातः 04:29 मिनट पर
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त - प्रातः 06:56 से लेकर प्रातः 08:01 मिनट तक
मार्गशीर्ष अमावस्या 2022 शुभ योग | Margashirsha Amavasya 2022 Shubh Yog
शोभन योग- 22 नवंबर, सायं 06:37 मिनट से 23 नवंबर दोपहर 03:39 मिनट तक
अतिगण्ड योग - 23 नवंबर,दोपहर 03:39 मिनट से 24 नवंबर,दोपहर 12:19 मिनट तक
अमृत काल - 23 नवंबर, दोपहर 01: 24 मिनट से दोपहर 2:53 मिनट तक
मार्गशीर्ष अमावस्या 2022 का महत्व | Margashirsha Amavasya 2022 Importance
मार्गशीर्ष या अगहन हिंदू महीना है जो अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है. इस धार्मिक महीने का नाम नक्षत्र मृगशीर्ष के नाम पर रखा गया है और यह भगवान कृष्ण को समर्पित है. मार्गशीर्ष अमावस्या प्रबल भक्ति और श्रद्धा का दिन है. इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करने के अलावा पितरों का सम्मान करते हैं. ऐसा माना जाता है कि मृत पूर्वजों को सम्मान देने से सभी दोष दूर हो जाते हैं और आपके और आपके परिवार के लिए आनंदमय जीवन का आश्वासन मिलता है. इस शुभ अमावस्या की रात में की जाने वाली प्रत्येक धार्मिक गतिविधि का गहरा महत्व है और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती है.
शास्त्रों में अमावस्या को सभी अमावस्या में काफी महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन पूजा दान करना पुण्य फलदायी होता है. इस दिन लोग पापों की मुक्ति के लिए पवित्र नदी में स्नान करते हैं और पितरों के नाम से तर्पण, दान व पिंडदान आदि करते हैं. ऐसा करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर कार्य में सफलता मिलती है.
मार्गशीर्ष अमावस्या 2022 पूजा विधि | Margashirsha Amavasya 2022 Puja Vidhi
पितरों के तर्पण के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रखने से पितरों का पूजन और व्रत रखने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-
प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें व गायत्री मंत्र का पाठ करें.
कुल परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें.
नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें..
मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए.
पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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