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This Article is From Mar 28, 2023

Chaitra navratri 2023: कब है राम नवमी और दुर्गा अष्टमी? यहां जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

Durga ashtami 2023 : नवरात्रि का आठवां और नौवां दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. इन दोनों दिनों में से किसी भी दिन व्रत करने वाले उपवास खोल सकते हैं. तो ऐसे में चलिए जानते हैं इस बार राम नवमी और दुर्गा अष्टमी कब है.

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Chaitra navratri 2023: कब है राम नवमी और दुर्गा अष्टमी? यहां जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Ram Navami : श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

Chaitra navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि व्रत मां के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना करने का समय होता है. पूरे नौ दिन माता का उपवास कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. साल की पहली नवरात्रि का पर्व 22 मार्च से शुरू हो गया है जिसका आज सातवां दिन है. नवरात्रि का आठवां और नौवां दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. इन दोनों दिनों में से किसी भी दिन व्रत करने वाले उपवास खोल सकते हैं. तो ऐसे में चलिए जानते हैं इस बार राम नवमी और दुर्गा अष्टमी (Durga ashtami 2023) कब है.

चैत्र अष्टमी और नवमी तिथि का समय

  • इस साल अष्टमी तिथि 29 मार्च 2023 को पड़ रहा है. हिन्दू पंचांग में राम नवमी 30 मार्च की रात 11 बजकर 30 मिनट पर मनाई जाएगी. इस बार तो नवमी में 4 शुभ योग बन रहे हैं सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, गुरु पुष्य योग और अमृत सिद्ध योग बन रहे हैं. इन सभी का शुभ असर जीवन पर पड़ेगा खासकर व्रती महिलाओं पर.  इस दिन जो लोग व्रत करते हैं हवन और कन्या पूजन भी करते हैं.

महागौरी पूजा मंत्र

 
1- श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

2- या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

महागौरी स्तोत्र :

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

माता महागौरी ध्यान 
 

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

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