Vivah Panchami 2025 Ram Sita Marriage Day: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष या फिर कहें अगहन महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि विवाह पंचमी पर्व के रूप में मनाई जाती है. मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर भगवान राम और सीता का विवाह हुआ था. इस पावन दिन को जहां कुछ लोग पूजा-पाठ से लेकर तमाम तरह के किए जाने वाले धार्मिक उपायों के लिए शुभ और फलदायी मानते हैं, वहीं कुछ लोग इस दिन विवाह और इससे संबंधित कामकाज के लिए शुभ नहीं मानते हैं. विशेष रूप से मिथिलांचल में इस दिन लोग अपनी बेटी का विवाह नहीं करते हैं. इस परंपरा के पीछे की वजह और इससे जुड़े तथ्य को आइए विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं.
मिथिलांचल में क्यों नहीं होती इस दिन शादियां?
जिस विवाह पंचमी को हिंदू धर्म में अत्यंत ही शुभ दिन माना जाता है और पूरे देश भर में उत्सव, पूजा पाठ आदि होते हैं, उस दिन मिथिलांचल के लोग अपनी बेटी का ब्याह करने से क्यों बचते हैं? पटना के जाने-माने ज्योतिषी पं. राजनाथ झा के अनुसार मिथिला नरेश ने जब अपनी बेटी सीता जी का विवाह किया तो उन्हें वनवास भोगना पड़ा और उन्हें सुखी दांपत्य सुख नहीं प्राप्त हो पाया. वनवास के दौरान उन्हें तमाम तरह के कष्ट झेलने के बाद अग्नि परीक्षा तक देनी पड़ी. यही कारण है कि इस क्षेत्र की परंपरा है कि इस दिन विवाह का शुभ मुहूर्त होने के बावजूद लोग अपनी बेटियों की शादी नहीं करते हैं.

क्या विवाह पंचमी पर हो सकती है चट मंगनी पट शादी?
उदयपुर की ज्योतिषाचार्य अलकनंदा शर्मा के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष पंचमी के दिन विवाह के लिए यदि कोई शुभ मुहूर्त निकलता है तो उसमें शादी-विवाह करने में कोई हानि नहीं है. लोग इस दिन बगैर किसी चिंता किए शादी कर सकते हैं. अलकनंदा शर्मा मिथिलांचल में दिन विशेष पर लड़कियों की शादी नहीं किए जाने को लोक परंपरा से जोड़कर देखती हैं, जबकि ज्योतिष तो अंकगणित पर आधारित होता है, जिस पर आधारित पंचांग में यदि विवाह का कोई लग्न निकलता है तो वह मान्य होगा.
विवाह पंचमी पर क्या करना चाहिए?
- हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन आप न सिर्फ विवाह कर सकते हैं बल्कि विवाह में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए इस दिन भगवान राम और सीता के विवाह की विशेष पूजा करके सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
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- हिंदू मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष की पंचमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री रामचरित मानस पूर्ण की थी. ऐसे में प्रभु श्री राम और सीता माता का विशेष आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन तमाम मनोकामनाओं को पूरा करने वाली मानस का विशेष रूप से पाठ करना चाहिए.
- सनातन परंपरा में सीता राम नाम का मंत्र सभी दुखों को दूर करके सुख-सौभाग्य दिलाने वाला माना गया है. ऐसे में व्यक्ति इस दिन विशेष रूप से पूजा में सीता राम मंत्र का जप या कीर्तन करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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