Vishwakarma Jayanti 2024 : हिंदू कैलेंडर में माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. इस दिन, पूरे देश में लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं. आपको बता दें कि भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का पहला वास्तुकार या इंजीनियर माना जाता है. इन्हें महादेव का त्रिशूल, सुदर्शन चक्र और कई अन्य दिव्य हथियार बनाने के लिए भी जाना जाता है. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं इस महत्वपूर्ण पर्व का महत्व और पूजा विधि.
क्या आप पूजा के दौरान भगवान को सही तरीके से लगते हैं भोग? यहां जानिए क्या है भोग लगाने का नियम
विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि - Puja vidhi of Vishwakarma puja
विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठें, सूर्योदय से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर तैयार हो जाएं.
फिर अपने घर, फैक्ट्री, दुकान या जहां भी आपको पूजा करनी हो, वहां साफ-सफाई करें. पूजास्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें फिर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को स्थापित करें.
इसके बाद देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान विश्वकर्मा को फूल चढ़ाएं. फिर भगवान विश्वकर्मा के सामने हाथ जोड़कर 'ओम आधार शक्तपे नम:', 'ओम कूमयि नम:' और 'ओम अनंतम नम:' जैसे मंत्रों का जाप करें. इसके बाद पूजा में अपने व्यवसाय से जुड़े उपकरणों की पूजा करें.
विश्वकर्मा पूजा महत्व - Significance of vishwakarma puja
मान्यता है कि प्राचीन काल के सभी प्रसिद्ध नगरों का निर्माण विश्वकर्मा भगवान ने किया है. यहां तक कि उन्होंने स्वर्ग से लेकर लंका, द्वारका जैसे नगरों के साथ साथ भगवान शंकर के त्रिशूल, हनुमान भगवान की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल व कवच तक का निर्माण किया है. इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दिन विधि- विधान से उनकी पूजा करने से साल भर भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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