Bhalchandra Sankashti Chaturthi: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि करें गौरी गणेश का पूजन, जानिए महत्व
मान्यता है कि इस दिन गणपति महाराज की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना अशुभ माना जाता है, इसीलिए विनायक चतुर्थी की पूजा दोपहर तक कर ली जाती है. इस दिन पूजन के समय विनायक चतुर्थी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करना शुभ माना जाता है.
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कहते हैं कि भगवान गणेश जितनी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, उतनी ही जल्दी रुष्ट भी हो जाते हैं, इसलिए इस दिन पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है. आइए जानते हैं कि विनायक चतुर्थी पर किन 7 कामों को करने से बचना चाहिए.
विनायक चतुर्थी में वर्जित कार्य
मान्यता है कि भगवान गणेश जी की पूजा के समय भूलकर भी तुलसी दल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. कहते हैं कि गौरी गणेश ने माता तुलसी को श्राप दिया था और अपनी पूजा से वर्जित कर दिया था. यही वजह है कि गणेश जी को पूजा के समय तुलसी दल अर्पित नहीं किया जाता.
माना जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की स्थापना के बाद घर खाली नहीं छोड़ते.
कहा जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन व्रती को मन, कर्म और वचन से शुद्ध रहना चाहिए. इसके साथ ही ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए.
भगवान गणेश जी की पूजा करते समय जलाए गए दीपक का स्थान बार-बार नहीं बदलना चाहिए. इसके साथ ही दीपक को गणेश जी के सिंहासन पर नहीं रखना चाहिए.
ध्यान रहे कि विनायक चतुर्थी के दिन व्रती को फलाहार में नमक का सेवन करने से बचना चाहिए.
कहते हैं कि विनायक चतुर्थी के दिन पूजन के समय गौरी गणेश की स्थापना इस प्रकार करें, उनकी पीठ के दर्शन न हो. मान्यता है कि पीठ का दर्शन करने से दरिद्रता आती है.
माना जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन भूलकर भी काले वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए. बता दें कि काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)