गणपति बप्पा मोरया की सवारी की कहानी
नई दिल्ली:
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) की धूम हर तरफ देखी जा रही है. गणपति भक्तों ने बप्पा की प्रतिमाओं को घरों में लाना शुरू कर दिया है. हर घर के मंदिर सिर्फ गणेश जी के ही रंग में रंग गए हैं. गणपति के भजन और गानों में भक्त नाच गा रहे हैं. विनायक (Vinayaka Chaturthi) के तरह-तरह के रूप देखने को मिल रहे हैं. कई गणपति लाल रंग में रंगे हैं तो कहीं गणेश जी का नील रूप देखा जा सकता है. कहीं फूलों के गणपति बनाए गए हैं तो कहीं मिट्टी के ईको-फ्रेंडली गणेश का चलन जोरों पर है. इसी बीच विनायक जी की सवारी यानी मूषक के भी कई अवतार देखने को मिल रहे हैं.
लेकिन गणपति के इस सबसे बड़े उत्सव पर जानिए कि आखिर चूहा यानी मूषक भगवान गणेश की सवारी कैसे बना. सभी देवताओं के पास एक से बढ़कर एक सवारियां हैं, लेकिन सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश के पास एक छोटा-सा मूषक ही क्यों? चलिए आपको बताते हैं कि आखिर श्री गणेश के पास ये सवारी कहां से आई और असल में यह मूषक है कौन.
Ganesh Chaturthi 2018: गणेश चतुर्थी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, जन्म कथा और महत्व
एक प्रचलित कथा के अनुसार एक आधा भगवान और आधा राक्षक प्रवृत्ति वाला नर था क्रोंच. एक बार भगवान इंद्र ने अपनी सभा में सभी मुनियों को बुलाया, इस सभा में क्रोंच भी शामिल हुआ. यहां गलती से क्रोंच का पैर एक मुनि के पैरों पर रख गया. इस बात से क्रोधित होकर उस मुनि ने क्रोंच को चूहे बनने का श्राप दिया. क्रोंच ने मुनि से क्षमा मांगी, लेकिन वह अपना श्राप वापस नहीं ले पाए, लेकिन उसने एक वरदान दिया कि आने वाले समय में वो भगवान शिव के पुत्र गणेश की सवारी बनेंगे.
क्रोंच कोई छोटा-मोटा नहीं बल्कि एक विशाल चूहा था. जो मिनटों में पहाड़ों को कुतर डालता था. इसका आतंक इतना था कि वन में रहने वाले ऋषि-मुनियों को भी वह बहुत परेशान किया करता था. इसी तरह एक दिन उसने महर्षि पराशर की कुटिया भी तहस-नहस कर डाली. महर्षि पराशर भगवान गणेश का ध्यान कर रहे थे. कुटिया के बाहर मौजूद सभी ऋषियों ने उसे भगाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन सफल ना हो पाए.
गणेश चतुर्थी 2018: जानिए Ganesh Ji को क्यों चढ़ाया जाता है Modak, क्या है महत्व?
इस समस्या के समाधान के लिए वो भगवान गणेश के पास गए और उन्हें सब कुछ बताया. गणेश जी ने चूहे को पकड़ने के लिए एक पाश (फंदा) फेंका. इस पाश ने चूहे का पाताल लोक तक पीछा किया और पकड़ कर गणेश जी के सामने ले आया.
गणेश जी ने चूहे से इस तबाही की वजह जाननी चाही लेकिन गुस्से से भरे उस चूहे ने कोई जवाब ना दिया. इसीलिए गणेश जी ने आगे चूहे से बोला कि अब तुम मेरे आश्रय में हो इसलिए जो चाहो मुझ से मांग लो, लेकिन महर्षि पराशर को परेशान ना करो.
इस पर घमंडी चूहे ने गणेश जी से कहा 'मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए. हां, अगर आप चाहें तो मुझसे कुछ मांग सकते हैं." इस घमंड को देख गणेश जी ने चूहे से कहा कि वो उनकी सवारी बनें. चूहे ने उनकी बात मानी और सवारी बनने को राज़ी हो गया. लेकिन जैसे ही गणेश जी उस चूहे के ऊपर बैठे वो उनकी भारी भरकर देह से दबने लगा. चूहे ने बहुत कोशिश की लेकिन गणेश जी को लेकर एक कदम आगे ना बढ़ा सका.
चूहे का घमंड चूर-चूर हो गया और उसने गणेश जी से बोला," गणपति बप्पा! मुझे माफ कर दें. आपके वजन से मैं दबा जा रहा हूं." इस माफी को स्वीकार कर गणेश जी ने अपना भर कम किया. इस तरह वह गणेश जी की सवारी बना. चूहे को मूषक भी कहा जाता है.
Ganesh Chaturthi: शिल्पा शेट्टी के घर आए गणपति, एक्ट्रेस ने यूं मनाई खुशियां- देखें Video
लेकिन गणपति के इस सबसे बड़े उत्सव पर जानिए कि आखिर चूहा यानी मूषक भगवान गणेश की सवारी कैसे बना. सभी देवताओं के पास एक से बढ़कर एक सवारियां हैं, लेकिन सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश के पास एक छोटा-सा मूषक ही क्यों? चलिए आपको बताते हैं कि आखिर श्री गणेश के पास ये सवारी कहां से आई और असल में यह मूषक है कौन.
Ganesh Chaturthi 2018: गणेश चतुर्थी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, जन्म कथा और महत्व
एक प्रचलित कथा के अनुसार एक आधा भगवान और आधा राक्षक प्रवृत्ति वाला नर था क्रोंच. एक बार भगवान इंद्र ने अपनी सभा में सभी मुनियों को बुलाया, इस सभा में क्रोंच भी शामिल हुआ. यहां गलती से क्रोंच का पैर एक मुनि के पैरों पर रख गया. इस बात से क्रोधित होकर उस मुनि ने क्रोंच को चूहे बनने का श्राप दिया. क्रोंच ने मुनि से क्षमा मांगी, लेकिन वह अपना श्राप वापस नहीं ले पाए, लेकिन उसने एक वरदान दिया कि आने वाले समय में वो भगवान शिव के पुत्र गणेश की सवारी बनेंगे.
क्रोंच कोई छोटा-मोटा नहीं बल्कि एक विशाल चूहा था. जो मिनटों में पहाड़ों को कुतर डालता था. इसका आतंक इतना था कि वन में रहने वाले ऋषि-मुनियों को भी वह बहुत परेशान किया करता था. इसी तरह एक दिन उसने महर्षि पराशर की कुटिया भी तहस-नहस कर डाली. महर्षि पराशर भगवान गणेश का ध्यान कर रहे थे. कुटिया के बाहर मौजूद सभी ऋषियों ने उसे भगाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन सफल ना हो पाए.
गणेश चतुर्थी 2018: जानिए Ganesh Ji को क्यों चढ़ाया जाता है Modak, क्या है महत्व?
इस समस्या के समाधान के लिए वो भगवान गणेश के पास गए और उन्हें सब कुछ बताया. गणेश जी ने चूहे को पकड़ने के लिए एक पाश (फंदा) फेंका. इस पाश ने चूहे का पाताल लोक तक पीछा किया और पकड़ कर गणेश जी के सामने ले आया.
गणेश जी ने चूहे से इस तबाही की वजह जाननी चाही लेकिन गुस्से से भरे उस चूहे ने कोई जवाब ना दिया. इसीलिए गणेश जी ने आगे चूहे से बोला कि अब तुम मेरे आश्रय में हो इसलिए जो चाहो मुझ से मांग लो, लेकिन महर्षि पराशर को परेशान ना करो.
इस पर घमंडी चूहे ने गणेश जी से कहा 'मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए. हां, अगर आप चाहें तो मुझसे कुछ मांग सकते हैं." इस घमंड को देख गणेश जी ने चूहे से कहा कि वो उनकी सवारी बनें. चूहे ने उनकी बात मानी और सवारी बनने को राज़ी हो गया. लेकिन जैसे ही गणेश जी उस चूहे के ऊपर बैठे वो उनकी भारी भरकर देह से दबने लगा. चूहे ने बहुत कोशिश की लेकिन गणेश जी को लेकर एक कदम आगे ना बढ़ा सका.
चूहे का घमंड चूर-चूर हो गया और उसने गणेश जी से बोला," गणपति बप्पा! मुझे माफ कर दें. आपके वजन से मैं दबा जा रहा हूं." इस माफी को स्वीकार कर गणेश जी ने अपना भर कम किया. इस तरह वह गणेश जी की सवारी बना. चूहे को मूषक भी कहा जाता है.
Ganesh Chaturthi: शिल्पा शेट्टी के घर आए गणपति, एक्ट्रेस ने यूं मनाई खुशियां- देखें Video
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं