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This Article is From Apr 08, 2016

विक्रम संवत 2073 शुरू, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, आन्ध्र प्रदेश-कर्नाटक में उगादि पर्व आज

विक्रम संवत 2073 शुरू, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, आन्ध्र प्रदेश-कर्नाटक में उगादि पर्व आज
गुड़ी पड़वा पर मुंबई में नीम और आम के पत्तों की बिक्री
आज यानी 8 अप्रैल, 2016 से विक्रम संवत 2073 आरम्भ हो गया। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन सृष्टि की शुरुआत हुई थी। यही कारण है इसे हिन्दू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है और हिन्दू कैलेंडर की शुरूआत इसी तिथि से होती है।

हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार एक साल में 12 महीने होते हैं, ये हैं: चैत्र, वैशाख, ज्‍येष्‍ठ, आषाढ, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन। चैत्र महीने पहली तिथि को चैत्र प्रतिपदा कहते हैं, जो कि आज है। अनेक लोग इसे सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानते हैं।

उल्लेखनीय है कि हिन्दू कैलंडर की इस तिथि के अनुसार देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से कई पर्व-त्योहार मनाये जाते हैं। आइए डालते हैं उनपे इए नज़र:

गुड़ी पड़वा
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां के लोग लोग सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन अधिकांश लोग नीम की कोमल पत्तियों, काली मिर्च, अजवायन, जीरा आदि से बने एक विशेष व्यंजन का सेवन करते हैं।

गुड़ी पड़वा के दिन भगवान को पूरनपोली और श्रीखण्ड का भोग लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में बांटा भी जाता है।

उगादि
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में हिन्दू नववर्ष को उगादि पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

महाराष्ट्र की तरह इन राज्यों के लोग भी नीम के पत्तियों से बने विशेष व्यंजन का सेवन करते हैं। उल्लेखनीय है कि उगादि शब्द का सही रूप 'युगादि' (युग और आदि) है, जिसका अर्थ है, युग का आरम्भ अर्थात नए वर्ष की शुरुआत।

सिंधी नववर्ष चैती चांद
चैत्र प्रतिपदा से ही सिंधी नववर्ष चैती चांद उत्सव की शरुआत होती है, जो चैत्र द्वितीया को संपन्न होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था  जो जल और मौसम के देवता वरूण देव के अवतार थे।

नवरेह
नवरेह कश्मीर पर्व है।  इस दिन से नए चंद्रवर्ष की शुरुआत होती है। उल्लास व रंगों के इस त्यौहार में कश्मीरी लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।  इस मौके पर यहां एक विशेष प्रकार का प्रसाद 'व्ये' बांटा जाता है, जो विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों और घर में पिसे चावल की पिट्ठी से बनाई जाती है।

नवरेह पर्व के अहले-सुबह कश्मीर के लोग चावल से भरा पात्र को देखते हैं, जो ]धन, उर्वरता और समृद्धि का सूचक माना जाता है।

चैत्र नवरात्र
हिन्दू धर्म में कुल चार नवरात्रि पर्व होते हैं। चैत्र नवरात्र की शुरूआत इसी दिन से होती है। इस साल पर्व इस तिथि को कलश स्थापना से शुरू होगा और 15 अप्रैल को संपन्न होगा।

संवत्सर पूजा
हिन्दू परंपरा में हर साल चैत्र प्रतिपदा को संवत्सर पूजा की जाती है, क्योंकि मान्यता है कि जगतस्रष्टा ब्रह्मा ने सृष्टि के रचना इसी दिन की थी और सूर्य के पहली किरण के उत्पत्ति इसी दिन हुई थी। इसलिए इसको सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहा गया है।

शालिवाहन शक संवत की शुरुआत
मान्यता है कि इस तिथि को ही शालिवाहन नामक व्यक्ति भारत पर आक्रमण करने विदेशी आक्रमणकारी शकों पर विजय प्राप्त की थी। इस विजय के प्रतीक के रूप में 'शालिवाहन शक' या 'शक संवत'  की शुरुआत हुई थी।

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