Vijaya Ekadashi 2023: शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं. इस दिन मान्यतानुसार श्रीहरि विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस एकादशी पर दसों दिशाओं से विजय प्राप्त होती है. विजय पर आधारित होने के चलते ही इस एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है. रात्रि जागरण के लिए इस एकादशी को उत्तम माना जाता है और भक्त सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विजया एकादशी का व्रत (Vijaya Ekadashi Vrat) रख पूजा में लीन होते हैं.
विजया एकादशी पूजा | Vijaya Ekadashi Puja
इस वर्ष आने वाली 16 फरवरी के दिन विजया एकादशी मनाई जाएगी. माना जाता है जो व्यक्ति विजया एकादशी का व्रत रखता है और पूरे मनोभाव से श्रीहरि विष्णु की पूजा करता है उसे अपने शत्रुओं पर विजय मिल जाती है. इस एकादशी के बारे में महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था. वहीं, विजया एकादशी की मूल कथा मर्यादा पुर्षोत्तम राम से जुड़ी हुई है.
विजया एकादशी की पूजा के लिए सुबह सवेरे उठकर स्नान किया जाता है. इसके पश्चात भक्त व्रत का संकल्प लेते हैं. व्रत का संकल्प लेने का बाद साफ वस्त्र पहने जाते हैं. अब भगवान विष्णु की मूर्ति पूजा स्थल पर रखी जाती है और भक्त भगवान को चंदन का लेप लगाते हैं. इसके बाद, तेल, फूल, धूप और दीपक भगवान के समक्ष रखे जाते हैं. पूजा के दौरान ही विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण स्त्रोत का पाठ किया जाता है. रात्रि में विष्णु पूजा (Vishnu Puja) और जागरण आदि को विजया एकादशी पर बेहद शुभ मानते हैं.
पूजा के बाद कुछ बातों का खास ध्यान रखा जाता है और भक्त पूरी श्रद्धा से पालन भी करते हैं. विजया एकादशी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है. इस दिन चावल और भारी खाद्य पदार्थों के सेवन से खासा परहेज किया जाता है. रात में पूजा करना अच्छा होता है. साथ ही इस दिन लड़ाई-झगड़े, अपशब्द कहने और किसी के साथ बुरा बर्ताव या रवैया अपनाने से परहेज करना चाहिए. अच्छा आचरण ही भगवान विष्णु को भाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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