Vastu Shastra: घर पर हम अपना अधिकतर समय बिताते हैं. घर ही हमारे अच्छे-बुरे दिनों का साथी है, हमारा आश्रय है और अगर हमारे पास कुछ है जिसे हम स्थायी रूप से अपना मानते हैं तो वह घर ही है. घर का सकारात्मक (Positive) माहौल ही परिवारिक सुख की चाभी होता है, वहीं नकारात्मकता से क्षोभ छाया रहता है. वास्तु शास्त्र घर की दिशा, वातावरण और चीजों को रखने की जगह से संबंधित कई सुझाव देता है. आइए जानें घर की दिशाओं के संबंध में वास्तु शास्त्र क्या बताता है.
वास्तु में घर की दिशाओं का महत्व | Importance of House Directions in Vastu
उत्तर दिशा (North Direction)घर की उत्तर दिशा को वास्तु शास्त्र में काफी अच्छा माना जाता है. इस दिशा में दरवाजे, खिड़कियां, बालकनी और वॉश बेसिन रखने की सलाह दी जाती है.
पूर्व दिशा (East Direction)पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा होती है. घर की पूर्व दिशा को सकारात्मकता और ऊर्जा के प्रवाह की दिशा माना जाता है. इस दिशा में खिड़कियां लगाना अच्छा माना जाता है.
पश्चिम दिशा (West Direction)वास्तु शास्त्र में घर की पश्चिम दिशा में टॉयलेट बनाने की सलाह दी जाती है. वास्तु के अनुसार अगर इस दिशा में दरवाजा हो तो उसे मेटल का होना चाहिए.
दक्षिण दिशा (South Direction)वास्तु में इस दिशा में टॉयलेट बनाने को पूर्ण रूप से वर्जित किया गया है. साथ ही, खिड़की और दरवाजे भी ना बनाने के लिए कहा जाता है.
इन बातों का ध्यान रखें- वास्तु के अनुसार घर की दक्षिण-पश्चिमी दिशा में बेडरूम होना चाहिए. लेकिन, बच्चों का कमरा इस दिशा में बनाने की सलाह नहीं दी जाती है.
- किचन के लिए दक्षिण-पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी दिशा को वास्तु में अच्छा मानते हैं क्योंकि दक्षिण से पश्चिम और उत्तर से पूर्व की ओर बह रही हवा किचन की आग को प्रभावित नहीं करती.
- वास्तु शास्त्र में घर में बराबर संख्या में दरवाजे और खिड़कियां लगाने की सलाह दी जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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