Swami Ramkrishna Paramhansa: स्वामी रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद के गुरु, महान संत, विचारक और आध्यात्मिक गुरू थे. माना जाता है कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस भगवान विष्णु के अवतार थे. उनका जन्म साल 1836 में पश्चिम बंगाल के कामारपुकुर गांव में हुआ था. स्वामी जी के बचपन का नाम गधाधर था और अल्पायु में ही उनके पिता का देहांत हो गया था. मात्र बारह साल की उम्र में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी और परिवार की जिम्मेदारी उनके सिर आ गई थी. स्वामी रामकृष्ण परमहंस कुशाग्र बुद्धि के थे और उन्हें पुराण, महाभारत, भगवद् गीता और रामायण कंठस्थ थी. आज स्वामी जी की पुण्यतिथि पर जानिए उनके कुछ विचारों के बारे में जिन्हें जीवन में उतार लेने पर जिंदगी में सकारात्मकता आ जाएगी.
स्वामी रामकृष्ण परमहंस के अनमोल वचन
स्वामी रामकृष्ण परमहंस का कहना था कि मनुष्य का अहंकार ही माया होता है. व्यक्ति को अपने अहं को किनारे रखना और कार्य में लीन रहना बेहद जरूरी है, क्योंकि जिस व्यक्ति के मन में अहंकार की भावना वास करती है. उसमें ईश्वर का वास नहीं होता है.
गुरु जी कहा करते थे कि व्यक्ति जब निस्वार्थ होकर किसी दूसरे की मदद करता है, तो वह खुद के लिए अच्छे जीवन का निर्माण कर रहा होता है. स्वामी रामकृष्ण परमहंस कहते थे कि अगर एक बार गोता लगाने पर मोती ना मिले तो उसका यह अर्थ नहीं होता कि समुद्र में कोई रत्न ही नहीं है, बल्कि इसका अर्थ यह होता कि अच्छे परिणाम को पाने के लिए व्यक्ति को निरंतर मेहनत करते रहनी चाहिए.
स्वामी रामकृष्ण परमहंस ईश्वर की प्राप्ति के लिए सदैव सत्य बोलने की सलाह देते थे. उनका कहना था कि सत्य ही ईश्वर है. वे मानते थे कि जो व्यक्ति ईश्वर प्राप्ति के रास्ते पर चलता है, उसे झूठ से बचना चाहिए और सदा सत्य का मार्ग चुनना चाहिए.
स्वामी रामकृष्ण परमहंस ईश्वर प्राप्ति के लिए कहते थे कि ईश्वर को पाने के सभी के रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन अंत में सभी रास्ते ईश्वर तक ही पहुंचाते हैं.
गुरु जी मानते थे कि व्यक्ति को बुरे विचारों और बुरे आचरण से बचना चाहिए. ऐसा करने पर व्यक्ति को ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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