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This Article is From Apr 20, 2023

Surya Grahan 2023: क्यों लगता है सूर्य ग्रहण, इसका समुद्र मंथन से है क्या संबंध, जानें इससे जुड़ी मान्यताएं और कथा

Samudra Manthan: 20 अप्रैल को सूर्य ग्रहण रहेगा, लेकिन क्या आप इससे जुड़े समुद्र मंथन के बारे में जानते हैं. ऐसे में सूर्य ग्रहण से पहले आइए जानते हैं समुद्र मंथन से इसका क्या संबंध होता है और इससे जुड़ी पौराणिक कथा क्या है.

Surya Grahan 2023: क्यों लगता है सूर्य ग्रहण, इसका समुद्र मंथन से है क्या संबंध, जानें इससे जुड़ी मान्यताएं और कथा
Surya grahan in April 2023 : चलिए जानते हैं सूर्य ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा.

Surya Grahan 2023:20 अप्रैल 2023 को सुबह 7:05 मिनट से लेकर 12:49 तक सूर्य ग्रहण रहेगा. कहा जा रहा है कि सूर्य ग्रहण अश्विनी नक्षत्र में लगेगा, जिसका स्वामी केतु है. 19 साल बाद मेष राशि में सूर्य ग्रहण होने वाला है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है तब सूर्य ग्रहण लगता है. ऐसे में सूर्य ग्रहण से पहले आइए जानते हैं समुद्र मंथन से इसका क्या संबंध होता है और इससे जुड़ी पौराणिक कथा क्या है.

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solar eclipse 2018
समुद्र मंथन से सूर्य ग्रहण का संबंध (Connection Between Solar Eclipse and Samudra Manthan)


प्राचीन काल के दौरान देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया था, जिसमें से कुल 14 रत्न और अमृत निकले थे, जिसे ग्रहण करने के लिए असुरों और देवताओं में युद्ध हो गया. जिस कलश में यह अमृत रखा था, उसे कभी देवता लेकर भागते तो कभी दैत्य. इस बीच श्री हरि विष्णु ने इस समस्या का समाधान खोजा और मोहिनी बनकर अमृत पिलाने की जिम्मेदारी खुद उन्होंने ली, जिसे देखकर सभी मोहित हो गए और उनके जाल में फंस गए. भगवान विष्णु जानते थे कि अगर दैत्यों ने अमृत पान कर लिया तो वह अमर हो जाएंगे और पूरी दुनिया का नाश हो जाएगा. ऐसे में जब देवता अमृत पान कर रहे थे और दैत्य अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे तो एक बहुत ही चतुर असुर स्वरभानु विष्णु जी की चाल को समझ गया और उन्होंने अमृत पान करने के लिए देवता का रूप धारण कर लिया.

इस कारण लगता है सूर्य ग्रहण 


चंद्र और सूर्य दोनों ने स्वरभानु को पहचान लिया और यह सारी बात विष्णु जी को बता दी, तब वो बहुत क्रोधित हो गए और सुदर्शन चक्र से राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन उसने अमृत की कुछ बूंदें पी ली थी, इसलिए वो राहु और केतु के रूप में अमर हो गया. राक्षस का सिर राहु कहलाया और धड़ केतू कहलाया. तभी से राहु-केतु चंद्रमा और सूर्य को अपना दुश्मन मानने लगे और इनके ग्रहों के रास्ते में आते रहे. जब राहु और केतु सूर्य या चंद्रमा के बीच आते हैं तो धार्मिक रूम में इसे सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण कहा जाता है और इसे ही समुद्र मंथन की कथा के रूप में जाना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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