घर में क्यों लगाया जाता है तुलसी का पौधा, ये है धार्मिक महत्व

हिंदू घरों में तुलसी की पूजा की जाती है और तुलसी को कई बीमारयों से लड़ने के लिए अच्छा उपचार माना जाता है. आईए ऐसे में जानते हैं क्या है तुलती का धार्मिक महत्व.

घर में क्यों लगाया जाता है तुलसी का पौधा, ये है धार्मिक महत्व

घर में क्यों लगाया जाता है तुलसी का पौधा, ये है धार्मिक महत्व

नई दिल्ली:

आपने अक्सर देखा होगा भारतीय घरों में तुलसी का पौधा जरूर रखा जाता है, जहां इस पौधे की पूजा भी की जाती है.  यहीं नहीं तुलसी एक ऐसा पौधा है जिसका हर एक हिस्सा काम का है. हिंदू घरों में तुलसी की पूजा की जाती है और तुलसी को कई बीमारयों से लड़ने के लिए अच्छा उपचार माना जाता है. आईए ऐसे में जानते हैं क्या है तुलती का धार्मिक महत्व.

सबसे पहले आपको बता दें, शास्त्रों और आयुर्वेद, दोनों में ही तुलसी के पौधे को घर में लगाने के कई  लाभ बताएं गए हैं.  यहां तक की  पौराणिक ग्रंथों में तुलसी के पौधे को पवित्र माना गया है. जिसकी पूजा की जाती है. तुलसी का पौधा ऐसा पौधा है जो धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही तरफ से महत्व रखता है.

जानें- तुलसी के पौधे के बारे में

तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसमें विटामिन (Vitamin) और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है क्योंकि इससे ज्यादा उपयोगी औषधि मनुष्य जाति के लिए दूसरी कोई नहीं है. तुलसी के धार्मिक-महत्व के कारण हर-घर आगंन में इसके पौधे लगाए जाते हैं. तुलसी की कई प्रजातियां मिलती हैं. जिनमें श्वेत व कृष्ण प्रमुख हैं. इन्हें राम तुलसी और कृष्ण तुलसी भी कहा जाता है.

कौन थीं तुलसी

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता तुलसी ने भगवान विष्णु को नाराज होकर श्राप दे दिया था कि तुम काला पत्थर बन जाओगे. इसी श्राप की मुक्ति के लिए भगवान ने शालीग्राम पत्थर के रूप में अवतार लिया शालीग्राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और तुलसी को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है.

क्यों की जाती है तुलसी के पौधे की पूजा

अपने छल का प्रायश्चित करते हुए विष्णु जी ने खिले हुए पौधे को तुलसी का नाम दिया और कहा कि “आज से इनका नाम तुलसी है और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और तुलसी जी की पूजा के बगैर मैं कोई भी भोग स्वीकार नहीं करूंगा.” तुलसी जी को बहुत पवित्र माना जाता है.

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