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Sharad Purnima 2025: 06 या 07 आखिर किस तारीख को पड़ेगी शरद पूर्णिमा, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व 

Sharad Purnima 2025 Date: सनातन परंपरा में जिस शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी के साथ अमृत वर्षा की बात कही जाती है, वह कब पड़ेगी? इस दिन किस पूजा को करने पर चंद्र देवता के साथ भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बरसता है, पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

Sharad Purnima 2025: 06 या 07 आखिर किस तारीख को पड़ेगी शरद पूर्णिमा, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व 
Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और धार्मिक महत्व

Sharad Purnima 2025 kab Hai: सनातन परंपरा में शरद पूर्णिमा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि इसी दिन धन की देवी मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था. मान्यता ये भी है कि सी दिन भगवान कार्तिकेय का भी जन्म हुआ था. पूर्णिमा तिथि जो चंद्र देवता और भगवान श्री विष्णु की पूजा के लिए बेहद शुभ और फलदायी मानी गई है, उस दिन मां लक्ष्मी के जन्मदिवस का संयोग होने पर इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है. विशेष तौर पर तब जब चंद्रमा इस दिन अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. आइए चंद्र देवता के साथ श्री हरि और माता लक्ष्मी की कृपा बरसाने वाली चंद्र पूर्णिमा की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उसके महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 06 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:23 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन 07 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 09:16 बजे तक रहेगी. ऐसे में शरद पूर्णिमा का पावन पर्व 06 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. शरद पूर्णिमा जिसे कोजागर पूजा के नाम से भी जाना जाता है, उसके लिए शुभ मुहूर्त 06 अक्टूबर 2025 को रात्रि 11:45 बजे से लेकर 07 अक्टूबर 2025 को पूर्वाह्न 12:34 बजे तक रहेगा. इस तरह कोजागर पूजा के लिए कुल 49 मिनट मिलेंगे. 06 अक्टूबर 2025 को चंद्रोदय शाम को 05:27 बजे निकलेगा. 

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शरद पूर्णिमा का ब्रह्म मुहूर्त : प्रात:काल 04:39  से 05:28 बजे तक 
शरद पूर्णिमा का विजय मुहूर्त : दोपहर 02:06 से 02:53 बजे तक 
शरद पूर्णिमा का अमृत काल : रात्रि 11:40 बजे से लेकर अगले दिन 07 अक्टूबर 2025 को पूर्वाह्न 01:07 बजे तक 
शरद पूर्णिमा का निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:45 से लेकर अगले दिन 07 अक्टूबर 2025 को पूर्वाह्न 12:34 बजे तक 
शरद पूर्णिमा का राहुकाल : प्रात:काल 07:45 से लेकर 09:13 बजे तक

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि 

शरद पूर्णिमा वाले दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद भगवान श्री हरि, माता लक्ष्मी और चंद्र देवता के लिए विधि-विधान से व्रत रखने का संकल्प करें. इसके बाद अपने पूजा घर में या फिर ईशान कोण में एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर इन देवताओं की तस्वीर रखें और उस पर गंगाजल छिड़कें. इसके बाद पुष्प, फल, धूप-दीप, चंदन-रोली, अक्षत, मिष्ठान, तुलसी आदि अर्पित करके पूजा एवं भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें.

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शाम के समय चंद्रोदय के समय चंद्र देवता को एक लोटे में अक्षत, सफेद पुष्प, दूध आदि डालकर अर्घ्य दें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा करें तथ चंद्रमा की रोशनी में पहले से बनी खीर को रखें और दूसरे दिन प्रसाद स्वरूप खुद भी खाएं और दूसरों को भी बांटें. 

शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व 

हिंदू मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की अमृत किरणों का शरीर पर पड़ना बेहद शुभ माना गया है. एक ओर जहां चंद्रमा की शुभ किरणें हमारे मन को शांत करते हुए आनंद देती हैं तो वहीं दूसरी ओर चंद्र देवता, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की अमृत किरणों में खीर को रखकर उसका दूसरे दिन सेवन करने को सेहत और सौभाग्य के लिए वृद्धिदायक माना गया है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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