Shani Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत के दिन मान्यतानुसार भगवान शिव की पूजा की जाती है. बहुत से भक्त इस दिन माता पार्वती का पूजन भी करते हैं. लेकिन, शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत भी कहते हैं जिस चलते भक्त इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि इस शनि देव की पूजा की जाए या फिर भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा आराधना करना ही काफी है. असल में शनि प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से शनि देव और भगवान शिव दोनों का ही पूजन होता है. आज 5 नवंबर के दिन पड़ने वाले शनि प्रदोष व्रत में किस तरह भगवान शिव का पूजन किया जाए, जानें यहां.
Shani Pradosh Vrat: आज है शनि प्रदोष व्रत, इस तरह करेंगे शनि देव की पूजा तो मान्यतानुसार मिलेगी कृपा
शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा | Lord Shiva Puja On Shani Pradosh Vrat
शनि प्रदोष व्रत का शुभ महुर्त (Shubh Muhurt) 5 नवंबर शाम 5 बजकर 6 मिनट से शुरू होकर अगले दिन सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगा. यह कार्तिक, शुक्ल त्रयोदशी मुहुर्त है.
प्रदोष व्रत के महत्व की बात करें तो इस व्रत को लंबी आयु के लिए रखा जाता है. भगवान शिव से आशीर्वाद पाने के लिए इस व्रत को रखते हैं और कष्टों के निवारण की आशा करते हैं. भगवान शिव की पूजा के लिए शनि प्रदोष व्रत के लिए सुबह नहा-धोकर शिव मंदिर जाया जा सकता है. मंदिर ना जाना हो सके तो घर के मंदिर में भोलेनाथ की पूजा करें. पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध किया जाता है. इसके बाद बेलपत्र, दीप, धूप, अक्षत आदि अर्पित करके भगवान शिव की पूजा (Shiv Puja) की जाती है. शिव भगवान पर जल चढ़ाते हुए ओम नम: शिवाय का जाप करें.
शनि प्रदोष व्रत होने के नाते इस दिन विशेषतौर पर शनि देव (Shani Dev) की पूजा भी की जाती है. शनि देव की पूजा के लिए शाम के समय सरसो का दीया जलाया जाता है. इस दीये को शनि देव के मंदिर में जाकर या फिर पीपल के पेड़ के नीचे जलाया जा सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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