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This Article is From Aug 22, 2022

Shani Amavasya 2022 Date: अगस्त में कब है शनिश्चरी अमावस्या? जानें तारीख और शुभ योग

Shani Amavasya 2022 Date: भाद्रपद मास की अमावस्या के दिन शनि अमावस्या का खास संयोग बन रहा है. आइए जानते हैं शनिश्चरी अमावस्या कब है और इन दिन क्या करना अच्छा रहेगा.

Shani Amavasya 2022 Date: अगस्त में कब है शनिश्चरी अमावस्या? जानें तारीख और शुभ योग
Shani Amavasya 2022 Date: अगस्त में इस दिन शनि अमावस्या पड़ रही है.

Shani Amavasya 2022 Date: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का खास महत्व है. 27 अगस्त, शनिवार को भाद्रपद मास की अमावस्या (Bhadrapada Amavasya 2022) पड़ रही है. शास्त्रों में अमावस्या (Amavasya) को पितरों को समर्पित माना गया है. ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार, शनिवार को पड़ रही भाद्रपद अमावस्या के दिन कुछ खास योग बन रहे हैं. दरअसल भाद्रपद अमावस्या के दिन कुशग्रहणी अमावस्या भी पड़ रही है. यह अमावस्या शनिवार को पड़ने की वजह से शनिश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya 2022) कहलाएगी. इस दिन पितृ देव के निमित्त तर्पण और शनि देव (Shani Dev) की पूजा विशेष फलदायी हो सकती है. 

शनि अमावस्या पर बन रहे हैं ये शुभ योग | Special Yoga on Shani Amavasya 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की अमावस्या तिथि 26 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से शुरू हो जाएगी. जो को अगले दिन यानी 27 अगस्त, शनिवार को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, शनिवार को अमावस्या तिथि मान्य होगी. इस दिन पूजा-पाठ और अमावस्या से जुड़े उपाय किए जाएंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन शिव और पद्म नामक दो शुभ योग बन रहे हैं.

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भाद्रपद अमावस्या को कहते हैं कुशग्रहणी अमावस्या | Kushgrahini Amavasya 2022 Date

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या (Kushgrahini Amavasya) भी करते हैं. इस दिन कुश को एकत्रित करने की परंपरा है. मान्यता है कि साल में सिर्फ भाद्रपद मास की अमवस्या का दिन ही कुश एकत्र करने के लिए खास होता है. बता दें कि कुश का इस्तेमाल अनेक पूजा-पाठ में किया जाता है. पूजा-पाठ के लिए कुश का आसन शुद्ध और अच्छा माना जाता है. इसके अलावा तर्पण के समय कुश को अंगूठीनुमा बनाकर अंगुली में धारण किया जाता है. 

पितृ और शनि दोष की पूजा के लिए खास भाद्रपद अमावस्या

ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) के जानकारों के मुताबिक अमावस्या पितरों की तिथि होती है. यही कारण है कि इस दिन पितरों की शांति ले लिए श्राद्ध, तर्पण आदि करने की परंपरा है. इसके साथ ही यह दिन पितृ दोष (Pitra Dosh) के मुक्ति पाने के लिए भी खास होता है. इस बार शनिश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya 2022) का योग होने से ये तिथि और भी खास हो गई है. ऐसे में जिन लोगों पर भी इस समय शनि की साढ़ेसाती (Shani Sadhe sati) और ढैय्या (Dhaiya) का प्रभाव है, वे इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय कर सकते हैं. मान्यतानुसार, इस दिन ऐसा करने से शनि दोष की शांति हो जाती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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