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Sawan Shivratri 2024: आज है सावन शिवरात्रि, इस तरह करें पूजा संपन्न

ऐसे में सावन की शिवरात्रि पर व्रत करने के साथ-साथ मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. यहां जानिए सावन शिवरात्रि का व्रत कैसे करना चाहिए और इसको करने के नियम क्या हैं.

Sawan Shivratri 2024: आज है सावन शिवरात्रि, इस तरह करें पूजा संपन्न
शिवरात्रि पर भक्त व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं.

Sawan Shivratri 2024: हिंदू धर्म में शिवरात्रि का अत्यधिक महत्व होता है. वैसे तो महाशिवरात्रि का पावन त्योहार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है. लेकिन, हर महीने मासिक शिवरात्रि भी मनाई जाती है और सावन के महीने में आने वाली शिवरात्रि का खास महत्व होता है, जो इस बार 2 अगस्त को मनाई जाएगी. ऐसे में सावन की शिवरात्रि पर व्रत करने के साथ-साथ मां पार्वती और भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. यहां जानिए सावन शिवरात्रि का व्रत कैसे करना चाहिए और इसको करने के नियम क्या हैं.

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सावन शिवरात्रि व्रत | Sawan Shivratri Vrat

मान्यताओं के अनुसार, विवाहित महिलाएं अगर सावन शिवरात्रि का व्रत करती हैं, तो उन्हें अखंड सुहागन होने का वरदान मिलता है. इसके अलावा अविवाहित कन्याएं अगर सावन शिवरात्रि का व्रत करती हैं तो उन्हें भगवान भोलेनाथ की तरह वर का आशीर्वाद मिलता है और उनकी शादी जल्द होती है. माना जाता है कि जो भी भक्त कई परेशानियों से घिरे हुए हैं उन्हें इस दिन व्रत जरूर करना चाहिए क्योंकि सावन शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं और आपको मनचाहा वरदान देते हैं.

सावन शिवरात्रि का व्रत करने के लिए आप फलाहार आधारित व्रत या निर्जला उपवास रख सकते हैं. बस ध्यान रखें कि व्रतधारी दिन में सोने से बचें और मन में बुरे ख्याल ना आने दें, तभी व्रत का पूरा फल मिलता है. आप चाहे तो सावन की मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के दिन एक समय भोजन करके भी व्रत रख सकते हैं, लेकिन आपको सात्विक भोजन ही ग्रहण करना है. शाम के समय भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के बाद ही फलाहार या भोजन ग्रहण करें, जो लोग रात्रि जागरण करते हैं वे चारों प्रहर की पूजा करने के बाद अगले दिन सूर्योदय पर ही व्रत का पारण करते हैं. 

–ॐ नम: शिवाय।

-ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

-शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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