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Lalita Saptami 2025: कब है ललिता सप्तमी, जानें देवी ललिता का कृष्ण की कथा से क्या है कनेक्शन? 

Lalita Saptami 2025 : ललिता सप्तमी का पावन पर्व क्यों मनाया जाता है? कौन हैं ललिता और श्रीकृष्ण से उनका क्या है कनेक्शन? ललिता सप्तमी की पूजा कब और कैसे करना चाहिए? देवी ललिता की पूजा करने पर साधक को किस फल की प्राप्ति होती है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Lalita Saptami 2025: कब है ललिता सप्तमी, जानें देवी ललिता का कृष्ण की कथा से क्या है कनेक्शन? 
ललिता सप्तमी की पूजा विधि और धार्मिक महत्व

Lalita Saptami 2025: सनातन परंपरा में भाद्रपद मास भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की प्रिय सखी ललिता जी का प्राकट्य हुआ था. ​ललिता सप्तमी का पावन पर्व हर साल राधा अष्टमी से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है. ललिता सप्तमी के दिन आखिर किस विधि से करनी चाहिए देवी ललिता की पूजा? आइए ललिता सप्तमी का शुभ मुहूर्त, धार्मिक महत्व आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

​ललिता सप्तमी का पावन व्रत हर साल राधा रानी की प्रिय सखी ललिता जी के सम्मान में रखा जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार देवी ललिता राधा जी की परम भक्त गोपी में से एक थीं. वह कान्हा की आठ पटरानियों में से एक हैं. मान्यता है कि राधा-कृष्ण के प्रति उनकी श्रद्धा और प्रेम की कोई बराबरी नहीं कर सकता है. उन्होंने अपना पूरा जीवन राधा-कृष्ण की भक्ति और उनकी सेवा में समर्पित कर दिया था. 

 ललिता सप्तमी का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार ललिता सप्तमी का पावन पर्व हर साल कान्हा के जन्मोत्सव के 14 दिनों बाद भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी को मनाया जायेगा. पंचांग के अनुसार इस साल यह सप्तमी तिथि 29 अगस्त 2025 को 08:22 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन यानि 30 अगस्त 2025 को रात्रि 10:46 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार ललिता सप्तमी का पावन पर्व 30 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा. 

ललिता सप्तमी पर कैसे करें पूजा?

सभी कष्टों को हर कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देने वाली देवी ललिता की पूजा करने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के ​बाद साफ कपड़े पहन पूरे विधि-विधान से कृष्ण की प्रिय सखी की पूजा करें. देवी पूजा की शुरुआत में एक कलश में जल भर कर उसे आम्रपल्लव से ढंक दें और उसके श्रीफल रखें. इसके बाद धूप-दीप जलाएं और चंदन, रोली, फल-फूल, अक्षत, मिष्ठान, पान-सुपाड़ी आदि अर्पित करके देवी ललिता की पूजा करें.

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इस दिन माता को आटे और गुड़ से बने 7 पुए विशेष रूप से भोग के रूप में अर्पित करें. ललिता सप्तमी वाले दिन देवी ललिता के साथ राधा-कृष्ण की पूजा अवश्य करें. चूंकि ललिता सप्तमी के दिन संतान सप्तमी का व्रत भी रखा जाता है, इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की भी विशेष रूप से पूजा करके इस व्रत की कथा को कहें अथवा सुनें. 

ललिता सप्तमी व्रत का क्या है फल?

भगवान श्रीकृष्ण की परम सखी मानी जाने वाली ललिता देवी की पूजा एवं व्रत करने वाले साधक को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. हिंदू मान्यता के अनुसार ललिता सप्तमी व्रत के पुण्यफल से मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन हमेशा सुखमय बना रहता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने पर संतान सुख में आ रही सारी बाधाएं दूर होती हैं. ललिता सप्तमी या फिर कहें संतान सप्तमी का व्रत साधक की सभी कामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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