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This Article is From Jul 06, 2023

सावन के दूसरे मंगला गौरी व्रत में इस तरह करें पूजा, जानें व्रत का महत्व और कथा 

Mangala Gauri Vrat: इस साल सावन की शुरूआत मंगला गौरी व्रत से हुई थी और अब सावन में दूसरा मंगला गौरी व्रत रखा जा रहा है. जानिए व्रत से जुड़ी कुछ खास बातें. 

सावन के दूसरे मंगला गौरी व्रत में इस तरह करें पूजा, जानें व्रत का महत्व और कथा 
Sawan Gauri Vrat: मंगला गौरी व्रत को महिलाएं रखती हैं. 

Mangala Gauri Vrat 2023: सावन मास की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. इस महीने को भगवान शिव को समर्पित किया जाता है और पूरे माह भोलेनाथ की विशेष पूजा-आराधना होती है. सावन के महीने में कई मंगला गौरी व्रत भी पड़ रहे हैं. मंगला गौरी व्रत में मां गौरी (Maa Gauri) की पूजा-आराधना की जाती है और इस व्रत को महिलाएं अच्छे वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखती हैं. मंगला गौरी व्रत सावन मास के हर मंगलवार के दिन रखा जाता है. पहला मंगला गौरी व्रत इस साल 4 जुलाई के दिन रखा गया था और दूसरा मंगला गौरी व्रत आने वाली 11 जुलाई के दिन रखा जाएगा. 

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मंगला गौरी व्रत की पूजा 

महिलाएं खासतौर से अच्छा वैवाहिक जीवन पाने के लिए मंगला गौरी व्रत रखती हैं. व्रत वाले दिन सुबह-सेवेर उठकर स्नान किया जाता है और व्रत का संकल्प रखते हैं. इसके बाद लकड़ी की चौकी सजाकर उसपर लाल कपड़ा बिछाते हैं और इसके ऊपर चावल से नौ ग्रह और गेंहू से सोलह देवियां बनाई जाती हैं. 
इसके पश्चात थाली के एक तरफ चावल और दूसरी ओर पानी से भरा कलश फूल रखकर स्थापित करते हैं. अब माता पार्वती का साज-श्रृंगार करके उनके समक्ष पूजा में मेवे, लौंग, सुपारी, नारियल, इलायची और मिष्ठान चढ़ाए जाते हैं. मां पार्वती (Ma Parvati) की आरती और मंगला गौरी व्रत की कथा का पाठ करके पूजा संपन्न की जाती है. 

मंगला गौरी व्रत की कथा 

मंगला गौरी व्रत से बेहद दिलचस्प पौराणिक कथा जुड़ी है. इस पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में धर्मपाल नामक व्यापारी रहता था. इस व्यापारी की एक पत्नी थी और घर में धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी. हालांकि, व्यापारी के कोई संतान नहीं थी जिससे वह अक्सर ही दुखी रहता था. कुछ समय बाद व्यापारी के घर पुत्र हुआ लेकिन उसकी अल्पायु थी और भविष्यवाणी की गई कि 16 वर्ष का होने पर सांप के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी. 

माना जाता है कि व्यापारी के पुत्र के 16 वर्ष का होने से पहले ही विवाह हो गया. विवाह के बाद उसकी पत्नी माता मंगला गौरी का व्रत किया करती थी. मंगला गौरी व्रत करने पर उसे पति की लंबी आयु का वरदान मिला और उसके पति की मृत्यु नहीं हुई. मान्यतानुसार मां गौरी के अंखड सौभाग्यवती वरदान के कारण ही व्यापारी के बेटे की आयु 100 वर्ष तक हुई और वह जीवनभर अपने परिवार के साथ सुखी रहा. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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