विज्ञापन

कब पड़ेगा सावन का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें इस दिन किस पूजा से बरसेगा महादेव का आाशीर्वाद

Sawan 2025 Last Pradosh Vrat: सावन के महीने में सोमवार व्रत की तरह जिस प्रदोष व्रत की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है, वह कब पड़ेगा और किस समय रहेगा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त माना जाने वाला प्रदोष काल? जानें पूरी विधि और धार्मिक महत्व.

कब पड़ेगा सावन का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें इस दिन किस पूजा से बरसेगा महादेव का आाशीर्वाद

Sawan ka aakhri pradosh kab hai: भगवान शिव की पूजा के लिए पूरा सावन का महीना पूजा, तप एवं मंत्र जाप आदि के लिए बेहद शुभ माना गया है लेकिन यदि आप इसमें पड़ने वाले सोमवार या फिर प्रदोष व्रत के दिन उनके लिए विशेष साधना या व्रत करते हैं तो आपको शीघ्र ही उनकी कृपा प्राप्त होती है. सनातन परंपरा में पवित्र श्रावण मास में पड़ने वाले जिस प्रदोष काल और प्रदोष व्रत को भगवान शिव की कृपा बरसाने वाला माना गया है, वह कब पड़ेगा और क्या है उसकी पूजा विधि एवं धार्मिक महत्व, आइए इसे विस्तार जानते हैं.

प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शुक्लपक्षी की त्रयोदशी तिथि 06 अगस्त 2025, बुधवार के दिन प्रात:काल 04:38 बजे प्रारंभ होकर 07 अगस्त 2025, गुरुवार के दिन प्रात:काल 04:57 बजे तक रहेगी. ऐसे में सावन का आखिरी प्रदोष व्रत 06 अगस्त 2025 को रखा जाएगा और इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा. देश की राजधानी के समयानुसार बुध प्रदोष के दिन प्रदोष काल की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सायंकाल 08:17 से लेकर रात्रि 10:25 बजे तक रहेगा.

Latest and Breaking News on NDTV

प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत वाले दिन भगवान शिव की प्रदोष काल में विशेष पूजा करना चाहिए. संध्या के समय पड़ने वाले इस शुभ मुहूर्त में दोबारा स्नान करने के बाद भगवान शिव संग माता पार्वती का विधि.विधान से पूजन करना चाहिए. प्रदोष व्रत की पूजा में भगवान शिव की प्रिय चीजें जैसे गाय का दूध, गंगाजल, रुद्राक्ष, भस्म, अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि अवश्य चढ़ाएं. प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान अधिक से अधिक शिव मंत्र का जाप करें तथा अंत में आरती के बाद पूजा में हुई भूल.चूक के लिए माफी मांगते हुए अपने कल्याण की कामना करें.

प्रदोष का धार्मिक महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा बरसाने वाला है. जिस व्रत को करने पर चंद्र देवता का क्षय रोग दूर हो गया था, उसे करने पर साधक को सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर.परिवार और जीवन में सुख.शांति बनी रहती है और हर प्रकार से साधक का कल्याण होता है. चूंकि यह व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इस दिन यह बुध ग्रह से जुड़े शुभ फल भी प्रदान करता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com