भोग लगाते समय ना करें ये गलतियां, इस मंत्र का करें जाप, सफल हो जाएगी पूजा

आज हम आपको बताने जा रहे हैं की पूजा के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए और देवी देवताओं को भोग लगाते समय किस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है.

भोग लगाते समय ना करें ये गलतियां, इस मंत्र का करें जाप, सफल हो जाएगी पूजा

मंत्र - त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।  गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

Bhog Lagane Ke Niyam: हिंदू धर्म में पूजा पाठ का बहुत ज्यादा महत्व है. पूजा करने से मन को शांति मिलती है. कहते हैं कि पूरे विधि विधान से पूजा की जाए तो भगवान का आशीर्वाद मिलता है और संकट दूर हो जाते हैं. शास्त्रों में भी कहा गया है कि देवी देवताओं और पितरों की पूजा करने से जिंदगी की तमाम परेशानियां दूर हो जाती हैं. हिंदू धर्म ग्रंथो में भगवान की पूजा पाठ को लेकर कई नियम (Puja Niyam) बताए गए हैं. इन नियमों का पालन करते हुए पूरे विधि-विधान से आराधना की जाती है. ये तो आप सभी जानते होंगे कि पूजा पाठ के दौरान भोग (Bhog) लगाया जाता है. भगवान को भोग लगाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं की पूजा के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए और देवी देवताओं को भोग लगाते समय किस मंत्र का जाप (Chanting Mantra) करना शुभ माना जाता है. 

भगवान को भोग चढ़ाने के नियम | Rules for offering bhog to God

 सात्विक भोजन का भोग लगाएं : सात्विक भोजन न सिर्फ सेहत बल्कि मन को भी शांत और स्वस्थ बनाता है. देवी देवताओं की पूजा के बाद सात्विक चीजों का ही भोग लगाना चाहिए.  भोग तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि उसमें लहसुन प्याज का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होना चाहिए. 

भोग के लिए इन बर्तनों का करें इस्तेमाल - भोग लगाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि जो बर्तन आप इस्तेमाल कर रहे हैं वो लोहे या एल्युमिनियम का नहीं हो. सोने, चांदी, मिट्टी या फिर स्टील के बर्तन का ही भोग लगाते वक्त उपयोग करना चाहिए. 

भोग को तुरंत ना हटाएं -  जब भी आप भगवान को भोग लगा रहे हैं तो भोग की थाली को कुछ देर अपने पूजा के स्थान पर ही रहने दें. भोग को तुरंत पूजा के स्थान से नहीं हटाना चाहिए. 

मंत्र - त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। 
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

 इस मंत्र का जाप करें - भोग लगाते वक्त इस मंत्र का जाप करें. कहते हैं कि पूरी श्रद्धा, भक्ति और सही उच्चारण के साथ इस मंत्र का जाप करने से ईश्वर आपके भोग को ग्रहण कर लेते हैं.

 इस मंत्र का अर्थ - संस्कृत में लिखे इस मंत्र का मतलब है, 'हे ईश्वर, मेरे पास जो भी है आपका दिया हुआ है आपका दिया हुआ आपको समर्पित कर रहा हूं. कृपया इसे ग्रहण करें और मुझ पर प्रसन्न हों'.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)