शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है. इस दिन शनिदेव की पूजा का विधान है. मान्यता है कि शनिवार के दिन पवित्र मन और पूरी श्रद्धा-भक्ति से शनिदेव का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं. ज्ञात हो कि शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है. कहते हैं शनिदेव अच्छे कर्म करने वाले शुभ फल देते हैं. वहीं, बुरे कर्म करने वालों को शनिदेव दंड देते हैं, इसलिए व्यक्ति को जीवन में हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए. मान्यता है कि शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. शनिवार को शनिदेव की पूजा के बाद शनिवार व्रत की आरती का पाठ करना शुभ माना जाता है. आइए पढ़ते हैं शनिवार व्रत की आरती.
शनिवार व्रत की आरती | Shanivar Vrat Aarti In Hindi
आरती कीजै नरसिंह कुंवर की।
वेद विमल यश गाऊं मेरे प्रभुजी॥
पहली आरती प्रहलाद उबारे।
हिरणाकुश नख उदर विदारे॥
दूसरी आरती वामन सेवा।
बलि के द्वार पधारे हरि देवा॥
तीसरी आरती ब्रह्म पधारे।
सहसबाहु के भुजा उखारे॥
चौथी आरती असुर संहारे।
भक्त विभीषण लंक पधारे॥
पांचवीं आरती कंस पछारे।
गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले॥
तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा।
हरषि-निरखि गावें दास कबीरा॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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