Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन भाई और बहन के अटूट प्रेम का पर्व है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती हैं और अपने भाई की प्रगति, सुरक्षा व खुशहाली की कामना ईश्वर से करती हैं. इस दिन भाई से पहले भगवान को राखी बांधना या राखी समर्पित करना अत्यधिक शुभ और फलदायी माना जाता है. पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन मनाया जाता है. आज 19 अगस्त, सोमवार के दिन रक्षाबंधन के दिन आप भी भाई को राखी बांधने से पहले अपने ईष्टदेव को राखी बांध सकती हैं. जानिए क्या है ईष्टदेव को राखी बांधने का सही समय और किस विधि से बांधी जा सकती है राखी.
रक्षाबंधन पर भाभी की कलाई पर क्यों बांधी जाती है राखी, जानिए क्या है खास वजह
ईष्टदेव को इस तरह बांधें राखी
धार्मिक मान्यतानुसार भगवान को राखी बांधना अत्यधिक शुभ होता है. इस साल सुबह से ही भद्रा का साया रहने वाला है ऐसे में दोपहर डेढ़ बजे के बाद से राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू हो रहा है. अपने ईष्टदेव को राखी बांधने के लिए स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इस दिन लाल, पीले और हरे रंग के वस्त्र पहनना बेहद शुभ होता है. माना जाता है कि रक्षाबंधन के दिन काले रंग के वस्त्र पहनने से परहेज करना चाहिए,
भगवान को राखी बांधने से पहले पूजाघर या घर के मंदिर की अच्छी तरह साफ-सफाई कर लेनी चाहिए. इसके बाद राखी की थाली तैयार की जाती है और उसमें सभी पूजा सामग्री (Puja Samagri) रखी जाती है. पूजा की थाली में राखी, अक्षत, टीका, दीया और मिठाई रखी जाती है. सबसे पहले भगवान की आरती उतारी जाती है. आरती के बाद टीका लगाया जाता है, अक्षत लगाते हैं और राखी भगवान के समक्ष रखते हैं. इसके बाद मिठाई से भोग लगाकर पूजा संपन्न की जाती है.
ईष्टदेव को राखी बांधने के दौरान इस खास मंत्र का जाप किया जा सकता है. 'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि ,रक्षे माचल माचल:।' यह मंत्र बेहद शुभ होता है. भगवान को राखी बांध लेने के बाद और पूजा संपन्न करने के बाद भाई की कलाई पर राखी बांधी जा सकती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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