Raksha Bandhan 2024: पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती आई हैं. एक प्रसंग यह भी सुनाया जाता है कि महाभारत काल में जब भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया था तो उनकी उंगली पर इससे चोट लग गई थी. द्रोपदी कान्हा को अपना भाई माना करती थी. जब द्रोपदी ने देखा कि श्रीकृष्ण की उंगली कट गई है तो तुरंत एक अपने आंचल को फाड़कर पट्टी बनाई और लेकर उंगली पर बांध दी. कहते हैं इसके बाद श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को रक्षा का वचन दिया था. इसी प्रसंग के बाद से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा. बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने लगीं. लेकिन, रक्षाबंधन पर अब सिर्फ भाई ही नहीं बल्कि ननद अपनी भाभी (Bhabhi) की कलाई पर भी राखी बांधने लगी हैं. जानिए इसके पीछे क्या है खास वजह.
भाभी की कलाई पर क्यों बांधी जाती है राखी
माना जाता है कि जब भाई की शादी हो जाती है तो उसकी पत्नी यानी भाभी भी हर कार्य में अपने पति का साथ निभाती है. वह उसकी साथी होती है, सहभागी होती है, उत्तरदायित्व निभाती है, हर कार्य में साथ देने का वचन देती है और धार्मिक कार्यों में भी साथ रहती है. ऐसे में बहनें भाई के साथ-साथ भाभी की कलाई पर भी इस हक से राखी बांधती हैं कि भाभी भी उनकी रक्षा करेंगी. वहीं, मारवाड़ी परिवारों में भाभियों को लुंबा बांधने की परपंरा लंबे समय से चली आ रही है.
भाभी की कलाई पर गेरुए रंग की राखी बांधना शुभ मानते हैं. माना जाता है कि यह रंग सूर्य का कारक होता है. इस रंग की राखी बांधने पर मां लक्ष्मी (Ma Lakshmi) का आशीर्वाद भी मिलता है, भाग्य में वृद्धि होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है सो अलग. भाभी को चमकीली गुलाबी रंग की राखी भी बांधी जा सकती है. इस रंग को बुध और शुक्र से प्रभावित माना जाता है.
किस समय बांधें राखीभाई और भाभी को रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल खत्म होने के बाद राखी बांधी जा सकती है. राखी बांधने का शुभ मुहूर्त आज दोपहर 1 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर शाम 4 बजकर 19 मिनट तक है.
कहें यह मंत्र'येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः
तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचलः'
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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