Pradosh Vrat 2024: हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva), मां पार्वती और समस्त शिव परिवार को समर्पित होता है. कहते हैं कि त्रयोदशी तिथि पर भगवान भोलेनाथ की सच्चे मन से आराधना करने से साधकों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है. ऐसे में त्रयोदशी तिथि पर अगर आप भगवान शिव की पूजा अर्चना करना चाहते हैं तो हम इस स्रोत का पाठ (Shiv Strotam) सकते हैं. माना जाता है कि इस स्त्रोत का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है और भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं.
सितंबर के महीने में कब-कब पड़ेगा प्रदोष व्रत, जानें सही तिथि और पूजा मुहूर्त
प्रदोष व्रत में शिव पूजा | Shiv Puja In Pradosh Vrat
इस महीने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा जो इस बार 15 सितंबर 2024, रविवार के दिन पड़ रहा है. रविवार के दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने के साथ ही शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया जाए तो इससे भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं.
शिव तांडव स्तोत्र पाठजटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनि
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपा
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमा
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरा
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरी
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसा
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥
अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभा
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतु
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥
'इति श्रीरावण कृतम्'
॥शिव ताण्डव स्तोत्र संपूर्णम॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
Sholay के Gabbar ने इस Film में इतना हंसाया कि जीत लिया Filmfare Award | NDTV IndiaNDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं