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Pitru Paksh 2025: सिर्फ गया और पुष्कर ही नहीं इन स्थानों पर भी श्राद्ध करने से मिलती है पितरों को मुक्ति

Shradh places in India: हिंदू धर्म में पितृपक्ष में पितरों की पूजा के लिए गया और पुष्कर के अलावा कई ऐसे तीर्थ स्थान बताए गये है, जहां पर विधि-विधान से श्राद्ध करने पर दिवंगत आत्माओं को मुक्ति मिलती है. पितृ पूजा से जुड़े ऐसे पावन धाम का नाम जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

Pitru Paksh 2025: सिर्फ गया और पुष्कर ही नहीं इन स्थानों पर भी श्राद्ध करने से मिलती है पितरों को मुक्ति
Best places for Shradh: भारत में श्राद्ध करने के लिए प्रसिद्ध स्थान 
File Photo

Best place for Shradh in India: सनातन परंपरा में पितरों के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध और पिंडदान करने की परंपरा है. इसके लिए हिंदू धर्म में सप्तपुरियों में से एक गया तीर्थ को सबसे उत्तम स्थान माना गया है, लेकिन यदि आप इस पितृतीर्थ पर किसी कारणवश न जा सकें तो आप देश के दूसरे पवित्र तीर्थों पर अपने पितरों का श्राद्ध विधि-विधान से करने दिवंगत लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. गौरतलब है कि हिंदू धर्म में पवित्र नदियों के किनारे या किसी देवालय में श्राद्ध करने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. आइए जानते हैं कि गया के अलावा देश के किन स्थानों पर पितरों का श्राद्ध करने पर पितरों को मुक्ति और करने वाले व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है. 

वाराणसी

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी या फिर कहें वाराणसी में भी श्राद्ध कर्म करना फलदायी माना गया है. गया तीर्थ में श्राद्ध करने के लिए भी लोगों को इस पावन नगरी के पिशाचमोचन कुंड पर आकर श्राद्ध करना पड़ता है. मान्यता है​ कि गंगा तट पर बसी काशी नगरी में श्राद्ध करने से पितरों को शीघ्र ही मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

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हरिद्वार

हिंदू मान्यता के अनुसार गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर के किनाने श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान करने से पितरों को शीघ्र ही मुक्ति मिलती है. यहां पर पितरों को तर्पण करने वाला व्यक्ति सभी सुखों को भोगता है. पितरगण उससे प्रसन्न होकर सुख-सौभाग्य प्रदान करते हैं. 

मथुरा 

यमुना नदी के किनारे बसे इस प्राचीन नगरी को भी श्राद्ध और पिंडदान के लिए अत्यंत ही फलदायी माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार मथुरा के ध्रवु घाट के पास ध्रुव टीले पर पितरों का श्राद्ध करने से दिवंगत आत्माओं को मोक्ष मिलता है. 

प्रयागराज

मां गंगा, देवी यमुना और सरस्वती माता के संगत तट पर बसे इस त्रिवेणी नगरी में पितरों के श्राद्ध का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि यह सभी तीर्थों का राजा माना गया है. यही कारण है कि हर साल इस कुंभ नगरी में बड़ी संख्या में लोग अपने पितरों का श्राद्ध और पिंडदान कराने के लिए पहुंचते हैं. यहां संगम तट और नागवासुकि मंदिर में लोग श्राद्ध करते हैं. 

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नैमिषारण्य 

देश के तमाम पावन तीर्थों में नैमिषारण्य क्षेत्र का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है. इस पावन तीर्थ पर श्राद्ध , यज्ञ, दान आदि करने से ​पुण्यफल की प्राप्ति और पितरों को मुक्ति् मिलती है. 

अयोध्या 

हिंदू धर्म भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम की नगरी में सरयूतट पर श्राद्ध करने से पितरों को शीघ्र ही मुक्ति मिलती है. 

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पुरी 

भगवान जगन्नाथ की पावन नगरी पुरी में भी श्राद्ध का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि चार धामों में से एक इस पवित्र नगरी में श्राद्ध करने से दिवंगत आत्मा को शीघ्र ही मोक्ष मिलता है. 

उज्जैन 

शिप्रा नदी के किनारे बसी इस पावन नगरी को भी श्राद्ध के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है. मान्यता है कि महाकाल की इस नगरी में पितरों का श्राद्ध करने पर वे शीघ्र ही तृप्त होते हैं और श्राद्धकर्ता पर अपना पूरा आशीर्वाद बरसाते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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