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Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में कैसे मिलता है पितरों का आशीर्वाद, जानें श्राद्ध, तर्पण और दान से जुड़े सारे नियम

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष के 15 दिनों पितरों का संतुष्ट करने के लिए आखिर क्या करना चाहिए? पितृपक्ष में क्या करने से मिलता है पितरों का आशीर्वाद और किन गलतियों के कारण लगता है पितरों से जुड़ा दोष? श्राद्ध से जुड़े इस पावन पक्ष के सभी नियम और उपाय के बारे में जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में कैसे मिलता है पितरों का आशीर्वाद, जानें श्राद्ध, तर्पण और दान से जुड़े सारे नियम
Shradh 2025 rules and remedies: पितृपक्ष में श्राद्ध करते समय इन 10 नियमों का हमेशा रखें ध्यान.

Pitru Paksha 2025 Rules and remedies: सनातन परंपरा में न सिर्फ जीवित माता-पिता की बल्कि उनकी मृत्यु के बाद भी उनके प्रति आदर और सम्मान प्रकट किया जाता है. पितरों के रूप में अपने पूर्वजों के लिए कृतज्ञता को प्रकट करने का ही पर्व पितृपक्ष है. हिंदू धर्म में पितरों की मुक्ति के लिए पुत्र के द्वारा भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की सर्वपितृ अमावस्या के बीच में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान की परंपरा है. मान्यता है कि इस दौरान विधि-विधान से किया गया श्राद्ध, तर्पण और हव्य ओर कव्य के रूप में पितरो को ​प्राप्त होता है. आइए जानते हैं कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध के दौरान हमें क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए.

  1. पितृपक्ष न सिर्फ पितरों के प्रति कृतज्ञता का पावन पर्व है, बल्कि इस दौरान पूर्वजों के प्रति जाने-अनजाने की गई गलती का पश्चाताप भी किया जाता है. यदि आपसे पूर्व में पितरों को लेकर कोई भूलवश गलती हो गई हो तो उसके लिए उनकी पावन तिथि पर तर्पण और श्राद्ध आदि करते समय क्षमा याचना तथा अपने कल्याण की कामना करें. 
  2. हिंदू मान्यता के अनुसार पितरों के लिए समर्पित पितृपक्ष में व्यक्ति को सात्विक आहार ग्रहण करते हुए ब्रह्मचर्य का जीवन जीना चाहिए. पितृपक्ष के दौरान इंसान को कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे पितरों की भावना को ठेस पहुंचे. 
  3. पितृपक्ष में व्यक्ति को अपने पूर्वजों की तिथि के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए. किसी भी जरूरमंद या ब्राह्मण व्यक्ति को दान देते समय अपने मन में भूलकर भी अहंकार न लाएं और न ही किए जाने वाले दान की महिमा का गुणगान करें अन्यथा वह दान फलित नहीं होगा. 
  4. पितरों के निमित्त दिए जाने वाला अन्न, फल, वस्त्र धन आदि अपनी इच्छा अनुसार और अपने सामर्थ्य के अनुसार दें. मजबूरी में या नाराज होकर दान न करे. यदि संभव हो तो दान को किसी मंदिर के पुजारी या सुयोग्य ब्राह्मण से संकल्प करवा कर दें. 
  5. हिंदू मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान किसी भी शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए. ऐसे में यदि पितृपक्ष के दौरान सगाई, विवाह, गृहप्रवेश, जन्मोत्सव, आदि जैसी चीजों को नहीं करना चाहिए. इन चीजों को पितृपक्ष की बजाय आगे नवरात्रि के समय कर लेना चाहिए. 
  6. हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. इसी प्रकार श्राद्ध के इस पावन पर्व में लहसुन, प्याज, बैंगन, मूली, करेला, गाजर, खीरा, अरवी आदि सब्जी और उड़द, मसूर, चने की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार इन चीजों का सेवन करने से पितृ दोष लगने की आशंका रहती है. 
  7. हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद पाने के लिए प्रतिदिन उनकी प्रतिमा या चित्र पर माला-पुष्प अर्पण करना चाहिए और शाम के समय दक्षिण दिशा में उनके लिए तिल का या फिर सरसों के तेल का दीया जलाना चाहिए. 
  8. पितृपक्ष में पीपल की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार पीपल का संबंध हमारे पितरों से होता है. ऐसे में पिृतपक्ष में प्रतिदिन पीपल के पेड़ में जल दें और शाम के समय सरसों के तेल का दीया जलाएं. मान्यता है कि दीये के इस उपाय को करने से पितृदोष दूर होता है. 
  9. पितृपक्ष में श्रद्धा के साथ श्राद्ध और तर्पण न करने पर पितरगण नाराज हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में व्यक्ति को पितरों का श्राप लगता है, जिसके कारण उन्हें जीवन में तमाम तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं. 
  10. हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में श्रद्धा के साथ के श्राद्ध और तर्पण करने पर पितरों का आशीर्वाद मिलता है जिससे जीवन से जुड़े सभी दोष दूर होते हैं. व्यक्ति के कुल, धन, संपदा और यश-कीर्ति की वृद्धि होती है. पितृपक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार का सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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