
Papmochani Ekadashi 2025: हर साल 24 एकादशी की तिथियां पड़ती हैं जिनका अपना अलग महत्व होता है. सालभर में आमलकी एकादशी, देवउत्थनी एकादशी, रंगभरी एकादशी, कामदा एकादशी, जया एकादशी, देवशयनी एकादशी, कामिका एकादशी और योगिनी एकादशी समेत पापमोचिनी एकादशी मनाई जाती है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं. पापमोचिनी एकादशी को पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी कहा जाता है. मान्यतानुसार इस एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) रखने पर अनजाने में किए गए पापों से छुटकारा मिलता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 25 मार्च की सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर हो गई है और यह तिथि कल सुबह 3 बजकर 45 मिनट तक रहने वाली है. ऐसे में आज मंगलवार के दिन पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है. यहां जानिए किस तरह पापमोचिनी एकादशी की पूजा संपन्न की जा सकती है.
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पापमोचिनी एकादशी की पूजा विधि | Papmochani Ekadashi Puja Vidhi
एकादशी के दिन सुबह स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय होता है इसीलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है. पूजा सामग्री (Puja Samagri) और भोग में भी पीले रंग की चीजें शामिल की जाती हैं. पापमोचिनी एकादशी की पूजा करने के लिए भगवान विष्णु की प्रतिमा को चौकी पर सजाकर प्रभु के समक्ष दीप और धूप जलाई जाती है. इसके बाद फल, फूल और तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाते हैं. आरती और भोग के बाद पूजा संपन्न की जाती है. दिनभर भक्त भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं और भगवान विष्णु से अपनी मनोकामनाएं कहते हैं. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है.
पापमोचिनी एकादशी पर निर्जला व्रत रखा जाता है. बहुत से भक्त इस दिन फलाहारी व्रत भी रखते हैं जिसमें वे फलों का सेवन कर सकते हैं. इस व्रत में घर में सात्विक भोजन तैयार किया जाता है और मांस-मदिरा से दूरी बनाई जाती है.
पापमोचिनी एकादशी व्रत पारण का समयपापमोचिनी एकादशी का व्रत 25 मार्च के दिन रखा जा रहा है इसीलिए इस व्रत का पारण (Vrat Paran) 26 मार्च, बुधवार के दिन किया जाएगा. व्रत पारण का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 56 मिनट से शाम 4 बजकर 23 मिनट पर है.
वैश्णव समाज के लोग एकादशी का व्रत 26 मार्च के दिन रख रहे हैं इसीलिए एकादशी का व्रत का 27 मार्च की सुबह 6 बजकर 17 मिनट से लेकर 8 बजकर 45 मिनट पर होगा.
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ विष्णवे नमः
- श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
- ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
- वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्
- ॐ अं वासुदेवाय नमः।। ॐ आं संकर्षणाय नमः।। ॐ अं प्रद्युम्नाय नमः।। ॐ अ: अनिरुद्धाय नमः।। ॐ नारायणाय नमः।।
- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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