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'भविष्य की जिज्ञासा से ज्‍यादा उसे सही दिशा देना जरूरी', ज्‍योतिष पर पंडित केदार शर्मा की ये बातें आपकी आंखें खोल देंगी 

उन्होंने कहा कि भविष्यवाणी का उद्देश्य डर पैदा करना नहीं बल्कि आत्मविश्वास जगाना है. जब व्यक्ति अपने भीतर झांकता है और अपने कर्म सुधारता है तो ग्रह भी उसी के अनुसार अनुकूल हो जाते हैं.

'भविष्य की जिज्ञासा से ज्‍यादा उसे सही दिशा देना जरूरी', ज्‍योतिष पर पंडित केदार शर्मा की ये बातें आपकी आंखें खोल देंगी 

मनुष्य के भीतर भविष्य को जानने की जिज्ञासा सदियों पुरानी है. हर युग में लोग यह जानना चाहते हैं कि आगे क्या होने वाला है, सुख मिलेगा या फिर कठिनाइयां आएंगी. लेकिन ज्योतिष का असली उद्देश्य केवल भविष्य बताना नहीं है बल्कि व्यक्ति को यह समझ देना है कि वह अपने वर्तमान को कैसे सही दिशा में मोड़े ताकि भविष्य बेहतर बन सके. ज्योतिष के प्रति आम धारणा के विपरीत, राजस्थान के ख्यातिप्राप्त ज्योतिषाचार्य पंडित केदार शर्मा मानते हैं कि ज्योतिष एक गूढ़ विज्ञान है जो ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव को मनुष्य के कर्म और परिस्थितियों से जोड़कर समझता है. ग्रह हमें केवल संकेत देते हैं, निर्णय हमारे कर्म तय करते हैं. जैसे सूरज उगने की दिशा तो तय है लेकिन हम उस रोशनी का उपयोग कैसे करें, यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है. ठीक वैसे ही, ग्रहों का प्रभाव भी जीवन में दिशा दिखाता है, पर कदम हमें ही बढ़ाने होते हैं.

पंडिता शर्मा ने बताया ज्‍योतिष का सार 

बचपन से ही मां शाकुंभरी देवी की आराधना करते हुए उन्होंने भविष्यवाणी करना शुरू किया. बतौर प्रोफेसर इन्होंने अपनी ज्योतिषीय साधना को जारी रखा. पंडित शर्मा कहते हैं, आज के समय में बहुत से लोग भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं. वह जानना चाहते हैं कि आने वाले दिनों में क्या होगा, किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. लेकिन यदि मनुष्य अपने कर्म और विचारों को सकारात्मक दिशा में रखे, तो वह किसी भी ग्रह स्थिति को अपने पक्ष में बदल सकता है. यही ज्योतिष का सार है, आत्मबल और कर्म पर भरोसा.

उन्होंने कहा कि भविष्यवाणी का उद्देश्य डर पैदा करना नहीं बल्कि आत्मविश्वास जगाना है. जब व्यक्ति अपने भीतर झांकता है और अपने कर्म सुधारता है तो ग्रह भी उसी के अनुसार अनुकूल हो जाते हैं. यह संबंध गणना से अधिक आत्मिक है. प्राचीन ग्रंथों में भी कहा गया है, “ग्रहों से बड़ा मनुष्य का संकल्प होता है.”

ज्योतिष को लेकर पंडित केदार शर्मा कहते हैं कि यह प्राचीन विज्ञान है लेकिन आज के वैज्ञानिक इसे स्वीकार नहीं करते हैं. लेकिन जो लोग इसके अस्तित्व को पहले स्वीकार नहीं करते थे, वही आज सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण को देखने के लिए कैमरे लेकर घूमते हैं. ज्योतिष में वेधशालाओं के जरिए सालों पहले इसका पूर्वानुमान कर लिया जाता था. ज्योतिष का महत्व आज भी है. लेकिन यह जरूर है कि अन्य सभी पेशों की तरह इसमें भी व्यावसायिकता आ गई है.

'चेतावनी नहीं, चेतना देता है ज्योतिष' 

आज विज्ञान भी स्वीकार कर रहा है कि ब्रह्मांड की ऊर्जा हमारे शरीर और विचारों को प्रभावित करती है. जिस प्रकार समुद्र की लहरें चाँद की स्थिति से प्रभावित होती हैं, उसी तरह मनुष्य का मन और शरीर भी ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रभाव में रहते हैं. ज्योतिष उसी ऊर्जा का विज्ञान है, जो हमें चेतावनी नहीं, चेतना देता है. इसलिए भविष्य जानने से अधिक आवश्यक यह है कि हम उसे सही दिशा दें. भविष्य कोई स्थायी तस्वीर नहीं है, यह हर क्षण हमारे निर्णयों से बनता और बदलता है. ज्योतिष की सच्ची शिक्षा भी यही है कि आत्मचिंतन, कर्म और विश्वास.

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